5. लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप उसे माना जा सकता है, जिसमें स्त्री और पुरुष विवाह किए बिना पति-पत्नी की तरह रहते हैं। पर यह जरूरी है कि दोनों बालिग हों, अगर दोनों तलाक शुदा हैं और अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं तो इसे लिव-इन रिलेशन माना जाएगा पर यदि दोनों में से कोई एक या दोनों पहले से शादीशुदा है तो उसे लिव-इन रिलेशनशिप नहीं कहा जाएगा। लिव-इन में रहने वाली महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने का भी अधिकार है। जबतक पार्टनर जिंदा हो ,पार्टनर की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में अधिकार नहीं मिल सकता। लेकिन यदि लिव-इन में रहते हुए पार्टनर ने वसीयत में संपत्ति लिव-इन पार्टनरके नाम कर दी है तो मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पार्टनर को मिल जाती है।
6. एक छत के नीचे रहती है तो
यदि कोई महिला किसी पुरुष के साथ एक छत के निचे रहती है या शादी के रिलेशन में हो और उसके साथ घरेलु प्रताड़ना हो रही हो तो वह ससुराल में रहने वाले किसी भी महिला या पुरुष की शिकायत कर सकती है जिसके द्वारा प्रताड़ना हुई है लेकिन वह रिलेशन में होने चाहिए। अगर महिला शादी के रिलेशन में नहीं है और उसके साथ मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना हो रही है तो ऐसी स्थिति मे जिम्मेदार पुरुष को ही माना जाता है।