मांडव्य ऋषि का यमराज को श्राप:
एक बार राजा ने भूलवश न्याय में चूक क़र दी और अपने सेनिको को ऋषि मांडव्य को शूली में चढ़ाने का श्राप दिया शूली में लटकने पर ऋषि के प्राण नहीं गए तो राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ तथा उन्होंने ऋषि मांडव्य को शूली से उतरवाया तथा अपनी गलती की क्षमा मांगी।
- कथा अनुसार
ऋषि माण्डव्य ने यमराज़ से पूछा की किस कारण मुझे झूठे आरोप में सजा मिली जो मेने किया नही उसकी सज़ा मुझे मिली फिर यमराज़ बोले जब आप 12 वर्ष के थे तो आपने एक छोटे से कीड़े के पूछ में सीक चुभाई थी जिस कारण आपको यह सजा भुगतनी पड़ी
ऋषि माण्डव्य ने यमराज से कहा की किसी को भी 12 वर्ष के उम्र में इस बात का ज्ञान नहीं रहता की क्या धर्म है और क्या अधर्म क्योकि की तुमने एक छोटे अपराध के लिए मुझे बहुत बड़ा दण्ड दिया है अतः में तुम्हे श्राप देता हु की तुम शुद्र योनि में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लोगे