बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के दमदार डायलॉग्स सुनते ही जोश पुरे तनबदन में उतर आता है। सनी देओल ने अपनी अब तक की सभी फिल्मो में ऐसे-ऐसे जबर्दस्त dialogues बोले है जो बच्चे बच्चे को मुंह जबानी याद है। घायल से लेकर दामिनी और घातक से लेकर सिंह साहब द ग्रेट तक न जाने कितनी बॉलीवुड मूवीज में सनी देओल ने अपने दमदार और फौलादी डायलॉग्स से सभी को हिला डाला है। सनी देओल का तारीख पर तारीख वाला डायलॉग सुनकर आज भी दर्शक रोमांचित हो जाते हैं।
आज हम आपको सनी देओल के सुपर हिट्स 15 Dialogues बताते है, जो हिट थे, हिट हैं और हिट ही रहेंगे। नीचे देखे…
1. फ़िल्म : घायल वन्स अगैन (2016)
अगर हम सच के साथ है,तो हमें जीतने तक हार नही माननी चाहिये।
2. फ़िल्म : ‘गदर एक प्रेम कथा’ (2001)
यह मुसलमानी है… मुसलमानी है यह…लो अब यह हो गयी सिख्नी.. और अब किसीने इस की तरफ आँख भी उठा कर देखा, तो वाहे गुरु दी सौ, गर्दन उखार दूँगा..
3.फ़िल्म : जिद्दी (1997)
पांच बजे के बाद देवा की अदालत शुरू होती है।
4. फ़िल्म : घातक (1996)
पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है।
5. फ़िल्म : ‘गदर एक प्रेम कथा’ (2001)
एक कागज़ पर मोहर नही लगेगी,तो क्या तारा पाकिस्तान नही जायगा
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6. फ़िल्म : घातक (1996)
मर्द बनने का इतना शौक है… तो कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दें।
7. फ़िल्म दामिनी : (1993)
जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता हैं ना तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है।
8. फ़िल्म : घातक (1996)
ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है।
9. फ़िल्म : ‘गदर एक प्रेम कथा’ (2001)
आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिन्दुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा।
10. फ़िल्म : दामिनी (1993)
तारीख़ पे तारीख़ ,तारीख़ पे तारीख़,तारीख़ पे तारीख़ मिलती रही है मायलार्ड मगर इंसाफ़ नही मिला।
11. फ़िल्म : घायल(1990)
झक मारती है पुलिस, उतार कर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में।
12. फ़िल्म : ‘गदर एक प्रेम कथा'(2001)
बरसात से बचने की हेसियत नही,और गोली बारी बात कर रहे है आप लोग
13. फ़िल्म : जीत(1996)
काजल… इन हाथों ने सिर्फ हथियार छोड़े हैं…. उन्हें चलाना नहीं भूले।
14. फ़िल्म : ग़दर ‘एक प्रेम कथा’ (2001)
मैं अपने बीवी-बच्चों के लिए सिर झुका सकता हूँ… तो सबके सिर काट भी सकता हूँ।
15. फ़िल्म : दामिनी (1993)
चिल्लाओ मत .. नहीं तो यह केस यहीं रफ़ा दफ़ा कर दूँगा … ना तारीख ना सुनवाई, सीधा इंसाफ़ वो भी ताबड़तोड़!