गुरुदेव की चालाकी

गुरुदेव की चालाकी (  )

बहुत पुरानी बात है एक अमीर व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी। बहुत तलाश करने के बावजूद न तो सामान मिला और न ही चोर का पता चला। तब अमीर व्यापारी शहर के गुरुदेव  के पास पहुँचा और चोरी  के बारे में बताया। सब कुछ सुनने के बाद गुरुदेव  ने व्यापारी के सारे नौकरों और मित्रों को बुलाया।

जब सब सामने पहुँच गए तो गुरुदेव  ने सब को एक-एक छड़ी दी। सभी छड़ियाँ बराबर थीं। न कोई छोटी न बड़ी सब को छड़ी देने के बाद गुरुदेव  बोले , इन छड़ियों को आप सब अपने-अपने घर ले जाएँ और कल सुबह वापस ले आएँ। इन सभी छड़ियों की खासियत यह है कि यह चोर के पास जा कर एक उँगली के बराबर अपने आप बढ़ जाती हैं। जो चोर नहीं होगा उस की छड़ी ऐसी की ऐसी रहेगी।

इस तरह मैं चोर और बेगुनाह की पहचान कर लेता हूँ। गुरुदेव की बात सुन कर सभी अपनी- अपनी छड़ी लेकर अपने घर चल दिए। उन्हीं में व्यापारी के यहाँ चोरी करने वाला चोर भी था। जब वह अपने घर पहुँचा तो उस ने सोचा, “अगर कल सुबह गुरुदेव  के सामने मेरी छड़ी एक उँगली बड़ी निकली तो वह मुझे तुरंत पकड़ लेंगे। फिर न जाने वह सब के सामने कैसी सजा दें। इसलिए क्यों न इस विचित्र छड़ी को एक उँगली काट दिया जाए। ताकि गुरुदेव  को कुछ भी पता नहीं चले।’

चोर यह सोच बहुत खुश हुआ और फिर उसने तुरंत छड़ी को एक उँगली के बराबर काट दिया। फिर उसे घिसघिस कर ऐसा कर दिया कि पता ही न चले कि वह काटी गई है। अपनी इस चालाकी पर चोर बहुत खुश था और खुशी- खुशी चादर तान कर सो गया।

सुबह चोर अपनी छड़ी ले कर गुरुदेव  के यहाँ पहुँचा। वहाँ पहले से काफी लोग जमा थे। गुरुदेव  1- 1 करके छड़ी देखने लगे। जब चोर की छड़ी देखी तो वह 1 उँगली छोटी पाई गई। उसने तुरंत चोर को पकड़ लिया। और फिर उससे व्यापारी का सारा माल निकलवा लिया। और चोर को जेल में डाल दिया गया। अब सभी गुरुदेव  की इस अनोखी तरकीब की प्रशंसा कर रहे थे।

दोस्तों ये तो सच है कि समझदारी  से बड़े से बड़ा मशला हल हो जाता है बस  सही समय पर बुद्धि का प्रयोग किया जाये तो

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