6. छठा भाव :
इस भाव को रोग़ भाव भी कहते है । क्योंकि इस घर से रोगों का विचार किया जाता है । इसके अलावा इस भाव से ऋण, कर्ज, शत्रु, दुर्घटना, मुकदमा, कोर्ट केस, मुकदमेबाजी, लम्बी बीमारी और हाउस ऑफ़ कॉम्पिटीसन (प्रतियोगिता का घर ) के बारें में इसी से विचार किया जाता है ।
7. सातवाँ भाव :
सातवाँ भाव यानि स्पाउस (जया) भाव या दांपत्य सुख भाव या विवाह स्थान भी कहा जाता है । पार्टनरशिप, दांपत्य सुख, विवाह, दैनिक मजदूरी आदि का विचार कुंडली में इसी भाव या घर से किया जाता है ।
8. आठवाँ भाव :
कुंडली में आठवाँ भाव अशुभ या बुरा भाव माना जाता है । अष्टम भाव से मृत्यु, आयु, मृत्यु का कारण, हायर सिक्रेअट रिसर्च नॉलेज, ससुराल पक्ष, टेंशन, डिप्रेशन, बाधायें, परेशानियां आदि का विचार किया जाता है। इस भाव से जातक की आयु या मृत्यु का अंदाजा लगाया जाता है इसलिए इसे मृत्यु भाव या आयु भाव भी कहते है ।
9. नवम भाव :
नवम भाव भाग्य भाव या भाग्य स्थान या त्रिकोण कहलाता है । इस भाव से जातक का भाग्य, किस्मत, पिता, विदेश यात्रा, धर्म को मानना, साला-साली, आध्यात्मिक स्थिति आदि का विचार किया जाता है । कुंडली में इसे शुभ भाव में गिना जाता है ।।
10. दशम भाव :
दशम भाव कुंडली का कर्म भाव होता है । इस भाव से जातक के कर्म या प्रोफेशन के बारें में विचार किया जाता है । प्रोफेशन जातक के कर्म से जुड़ा होता है । कैसे जातक कर्म करेगा, कैसा लाइफस्टाइल होगा यह सब इसी भाव से जाना जाता है ।
11. एकादश भाव :
यह कुंडली का आय भाव है । इस घर से हम आय का विचार करते है ।
- लाभ का विचार भी इसी घर से किया जाता है । जिस कारण इसे लाभ भाव भी कहा जाता है ।
- इस भाव को इच्छापूर्ति का भाव भी कहा जाता है ।
- बड़े भाई बहनों का विचार भी इसी घर से किया जाता है ।
- इस भाव से छोटे मोटे रोगों का भी विचार किया जाता है । क्योंकि यह भाव लाभ के साथ-साथ छोटे-मोटे रोग़ भी लेकर आता है ।
- इन सबके अलावा मित्र, समाज, व्यवसाय में उन्नति भी इसी भाव से देखी जाती है ।
12. द्वादश भाव:
द्वादश भाव को कुंडली का व्यय स्थान या मोक्ष स्थान कहा जाता है । जेल यात्रा, अस्पताल का खर्च, विदेश सेटलमेंट, मोक्ष, खर्च आदि के बारे में इसी भाव से विचार किया जाता है । कुंडली में इस घर को अशुभ भावों में गिना जाता है।