जब भक्त के प्राण बचाने के लिए प्रभु को करने पड़े अपने बाल सफ़ेद

god with white hair
जब भगवान को करने पड़े अपने बाल सफेद

मानो तो भगवान ना मानो तो पत्थर हूँ, हिंदी के इस मुहावरे का ठीक मतलब इस कहानी से सिद्ध हो जाता हैं जो की आप नीचे पढ़ने जा रहे हैं….

एक बार की बात हैं किसी नगर में एक राजा ने एक मंदिर बनवाया जिसमें श्रीकृष्ण की एक मूर्ति भी रखवाई लेकिन उसकी कभी पूजा नहीं की। पूजा करने के लिए मंदिर में एक पुजारी को रखा गया । पुजारी रोज़ कान्हा जी को नहलाता और बड़े ही भाव से उनकी पूजा अर्चना करता। राजा भी रोज़ कान्हा जी के लिए एक फूलों की माला भेज देता था और जब वह दर्शन करने आता तो पुजारी उस माला को उतारकर राजा को पहना देता। ऐसा करते-करते पुजारी की भी उम्र बीत चुकी थी।

love to lord krishna
Love to Lord Krishna Photo Credit: wikimedia.org

एक दिन किसी वजह से राजा नहीं आ सका तो उसने एक सेवक के हाथ मंदिर में माला पंहुचा दी और कहलवाया की आज वह मंदिर नहीं आएगा इसलिए पुजारी उसका इंतज़ार ना करें। इतना कहकर सेवक चला गया। पुजारी ने रोज़ की तरह कान्हा जी को माला पहना दी परन्तु जब शाम हुई तो पुजारी यह सोचने लगा, माला उतारकर किसे पहनाई जाए? उसने सोचा क्यों न ये माला आज मैं ही पहन लूँ। वैसे भी मेरी उम्र हो चली हैं। जीवन का क्या पता कब ख़त्म हो जाएं। इतना सोचकर पुजारी ने माला उतारकर अपने गले में डाल ली लेकिन इतने में ही सेवक आ गया और उसने बताया की राजा की सवारी मंदिर में पहुँचने वाली हैं।

यह सुनकर पुजारी की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गयी। वह सोचने लगा अब मैं क्या करूँ अगर राजा ने देख लिया तो वो मुझे मरवा ही डालेंगे। डर के मारे पुजारी ने माला उतारकर वापस कान्हा जी को पहना दी। जैसे ही राजा अंदर आया तो रोज़ की तरह पुजारी ने माला कान्हा जी के गले से उतारकर राजा को पहना दी। लेकिन माला पर लगा सफ़ेद बाल राजा ने देख लिया। तभी वो समझ गए की पुजारी ने ये माला पहले खुद पहनी थी और फ़िर उसे वापस कान्हा जी को पहना दी।

राजा इस बात पर क्रोधित हो उठे और उन्होंने गुस्से में पुजारी से पूछा माला पर सफ़ेद बाल कहाँ से आया। राजा की बात सुनकर पुजारी डर गया और बोल पड़ा ये तो कान्हा जी का हैं। अब तो राजा गुस्से से लाल पीले हो गए क्योंकि कान्हा जी तो भगवान हैं और उनके सफ़ेद बाल कैसे हो सकते हैं। इसीलिए राजा ने फरमान सुना डाला की कल श्रृंगार के समय राजा खुद वह आएंगे और देखेंगे सफ़ेद बाल सच में ही कान्हा जी का हैं या पुजारी झूठ बोल रहा हैं। अगर पुजारी ने झूठ बोला होगा तो उसे फांसी दे दी जाएगी।

Pujari ji
Pujari ji

इतना कहकर राजा चला गया अब पुजारी का रो रोकर बुरा हाल था। उसने रोते रोते कहा- हे कान्हा जी! मैं जानता हूँ मुझसे गलती हो गयी हैं । मुझे अपने गले की निकली माला आपको नहीं पहनानी चाहिए थी पर मैं क्या करता उस समय मेरे मन में लालच आ गया था कि कभी आपके गले की निकली हुए माला मैं भी पहन सकूं। क्योंकि अब तो आपकी सेवा करते – करते मैं वृद्ध हो चुका हूँ। अब आप मुझे माफ़ कर दीजिए ऐसी गलती दोबारा नही होगी। अब आप ही कुछ कीजिए, नहीं तो कल मुझे फांसी हो जाएगी। पुजारी पूरी रात रो रोकर यही कहते रहे।

सुबह होते ही राजा भी आ गया और कहने लगा आज कान्हा जी का श्रृंगार वह खुद करेगा। ऐसा कहकर जैसे ही राजा ने कान्हा जी का मुकुट उतारा तो उसने देखा की प्रभु के सारे बाल सफ़ेद हैं। लेकिन राजा को फ़िर भी यकीन नही हुआ। उसे लगा की फाँसी के डर से पुजारी ने बालों को रंग दिया हैं।

सच जानने के लिए राजा ने कान्हा जी का एक बाल तोड़ लिया। जैसे ही बाल टूटा प्रभु के सिर से खून की धारा बहने लगी। यह देखकर राजा भगवान के चरणों से लिपटकर माफ़ी मांगने लगा। तभी मूर्ति से आवाज़ आयी राजा तूने मुझे आज तक सिर्फ पत्थर की एक मूर्ति समझा इसलिए अब मैं तेरे लिए एक पत्थर ही रहूँगा। लेकिन पुजारी ने मुझे हमेशा भगवान की तरह पूजा है। इसलिए उनके लिए मुझे अपने बाल सफ़ेद करने पड़े।

इसलिए कहते हैं अगर मन सच्चा हो तो पत्थर की मूर्ति में भी प्राण आ जाते हैं और वैसे भी भगवान अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टी हमेशा बनाए रखते हैं।

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