Birth of Pandavas in Kalyug Mahabharata Story: महाभारत के युद्ध के बारे में कौन नहीं जानता ये एक ऐसा युद्ध था जिसे न चाहते हुए भी पांडवों को अपने भाइयों के खिलाफ लड़ना पड़ा क्योंकि कौरव गलत तरीके से पांडवों का हक़ छीनना चाहते थे।जिसकी वजह से श्रीकृष्ण ने भी पांडवों का साथ दिया। इस युद्ध के अंत में अश्वत्थामा (जिसे अमरता का वरदान प्राप्त था और कहा जाता हैं कि ये अभी भी जिन्दा हैं ) ने आधी रात में भगवान शिव को मन ही मन प्रसन्न कर पांडवों के शिविर में जाने कि अनुमति ली थी और पांडवों के सारे पुत्रों को मार डाला।
पांडवों को जब इस पूरी घटना का पता चला तो उन्होंने भगवान शिव को अपने पुत्रों की मृत्यु का जिम्मेदार मान लिया और भगवान शिव से युद्ध करने चले गए और जैसे ही उन्होंने अपने अस्त्र निकले सारे अस्त्र शिवजी के अंदर समां गए तब क्रोधित हो भगवान शिव ने उन्हें श्राप दिया कि तुम्हें कलयुग में मनुष्य रूप लेकर इसका दंड भोगना पड़ेगा क्योंकि इस जन्म में तुम सब श्रीकृष्ण के भक्त हो जिसकी वजह से तुम्हें इस जन्म में इसका फल नहीं भोगना पड़ेगा। इसी कारण पांडवों को कलयुग में जन्म लेना पड़ा।अगर आप जानना चाहते हैं कि कलयुग में किस पांडव ने किसके यहाँ जन्म लिया तो नीचे पोस्ट में पढ़े……
इन राजाओं के यहाँ जन्मे थे पांच पांडव
- धर्मराज युधिष्ठिर वत्सराज राजा के पुत्र मलखान के रूप में।
- अर्जुन परिलोक राजा के पुत्र ब्रह्मानंद बने।
- भीम वनरस राज्य के राजा वीरण के रूप में।
- नकुल कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु के पुत्र लक्षण के रूप में ।
- सहदेव भीमसिंह नामक राजा के पुत्र देवसिंह के रूप में।
पांडवों के अलावा इन लोगों ने भी लिया कलयुग में दोबारा जन्म
- धृतराष्ट्र का जन्म अजमेर में पृथ्वीराज के नाम से हुआ और द्रोपदी इनकी पुत्री के रूप में जन्मी जिनका नाम वेला पड़ा।
- कर्ण का जन्म तारक नाम के राजा के रूप में हुआ।