कचोरी और रसगुल्ला

rasgulla

हम सभी की अलग- अलग पसंद होती है | फिर चाहे वो हमारे शौक हो, पहनावा हो या खाना हो | अब अगर खाने की बात की जाये तो भी अलग पसंद होती है | हम हर तरह के स्वाद का खाना खाते है जैसेकि मीठा, नमकीन और चटपटा | मगर पसंद सिर्फ एक ही तरीके का होता है | लेकिन एक चीज़ सभी को अच्छी लगती है वो है – मीठा | कोई खाने के साथ खाता है तो कोई बाद में पर पसंद तो सभी को है |

इसी बात पर एक कविता पेश है |

एक हलवाई की दुकान पर रसगुल्ले और कचोरिया बनाई जा रही थी | उन दोनों में इस बात को लेकर झगड़ा हुआ की लोगों को कौन सबसे ज्यादा पसंद है|

कहे कचोरी रसगुल्ले से

क्यों फिरता है फुला -फुला

तू क्या है एक छोटा- सा

छेने का मीठा गोला |

यह सुन कर रसगुल्ला बोला

गुस्से में उसने मुंह खोला

तुम भी क्या हों बहन कचोरी

दाल भरी है तुम में थोड़ी |

बाकी है कुछ मिर्च मसाला

कूटकर तुममें डाला

खाने वाला खा तो जाए

सी -सी कर के  जीभ जलाए |

तुमसे क्या मुकाबला मेरा

मधुर -मधुर रस होता मेरा

खाने वाला खाता जाये

फिर भी उसका जी ललचाए |

 

 

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