पर्वत हिमालय हमारा
“कितनी सदिया बीत चुकी है।
एक जगह खड़ा हिमालय रखवाली का वचन निभाए, कर्तव्यों की कथा सुनाए ।
अविचल और अडिग रहकर नित, मुश्कानो के कोष लुटाए।
भारत माता के मस्तक पर लगे मुकुट सा जड़ा हिमालय
दुश्मन का मुख काला करता जन-जन की पीड़ा को हरता।
गंगा की धारा को लाए पर हित में ही जीता रहता
गर्व हमें है पिता सरीखा ले मुकाबला अड़ा हिमालय।
कितनी सदिया बीत चुकी है-एक जगह पर खड़ा हिमालय।”