इस कहानी में आप जानेंगे कि कैसे सभी दरबारी बीरबल के दिए जवाब को मान लेते है और बादशाह अकबर भी बीरबल की बात से प्रसन्न हो उसे इनाम देते है।
बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था। सभी दरबारियों में आपस में कुछ खुसर-पुसर चल रही थी। तभी एक सभासद ने बादशाह अकबर से पूछा – हुजूर!, ऐसा कौन सा प्रश्न हैं जो केवल बीरबल बता सकता हैं, हम नहीं?
सभासाद की बात सुनकर बादशाह अकबर पहले थोड़ा शांत हो गए फिर कुछ देर बाद कहा – “अच्छा बताओ इस समय दरबार में बैठे लोगों के मन में क्या चल रहा हैं।
अकबर की बात सुन, वह सभासद बोला – जहाँपनाह ! लोगो के मन में क्या है? यह तो सिवाय खुदा के और कोई नहीं बता सकता, अगर बीरबल बता दे तो हम जाने।
बादशाह ने उसी समय बीरबल को बुलाने का हुक्म दिया। बड़े ही अदब से बीरबल दरबार में पेश हुआ। उसके सामने भी बादशाह ने यही प्रश्न दोहराया।
बताओ – “इस समय दरबार में बैठे सभी लोगों के मन में क्या चल रहा हैं। ”
बीरबल ने फ़ौरन दरबारियों की तरफ़ देखते हुए कहा – हुजूर!, इस समय तो सबके मन में एक ही बात है की यह दरबार सदा इसी तरह भरा रहे और बादशाह सलामत हमेशा स्वस्थ और जिन्दा रहे।
बीरबल का जवाब सुनकर सभी दरबारी एक दुसरे का मुंह ताकने लगे और फिर सभी दरबारियों ने बीरबल की बात को मान लिया। क्योंकि मना करने पर मौत किसको बुलानी थी।
बेचारा सभासद, बादशाह के सामने सिर झुकाए बैठा रहा। बादशाह अकबर, बीरबल का ऐसा जवाब सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बदले में उसे ईनाम दिया।