दुर्गे माता की आरती – Durga Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Maa Durga Aarti
Durga Ji Ki Aarti : देवी दुर्गे अपने भक्तों को अभय देने वाली और असुरों का नाश करने करनी आदि-शक्ति है. इस जगत में जो माया व्याप्त है वह सब माँ दुर्गा द्वारा ही है। ये प्रसन्न होने पर मनुष्य के दुःख दूर कर उनको सुख प्रदान करती है।
दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) में इन्हीं माँ दुर्गा को नरसिंह का रूप धरकर भक्त प्रहलाद की रक्षा करने वाली व हिरण्याक्ष असुर को मारकर स्वर्ग में स्थान देने वाली अम्बे बताया गया है।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
इन्हें ही माँ अम्बे, माँ जगदम्बे तथा माँ काली आदि नामों से संबोधित किया जाता हैं तथा महिषासुर नामक दैत्य का वध करने के कारण यही देवी दुर्गा महिषा सुर मर्दनी कहलायी।
स्वरूप: सिंह पर सवार देवी दुर्गा आठ भुजाओं वाली है जिनमें क्रमशः सुदर्शन चक्र, तलवार, त्रिशूल, शंख, कमल पुष्प, धनुष-बाण व गदा लिए हुए है।
माँ दुर्गा के नौ रूप है इन्ही नौ रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है दुर्गे जी के नौ स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में नौ दिनों तक विधिवत तरीके से की जाती है। माँ के भक्तों के लिए माँ को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्ति का यह सबसे अच्छा समय माना जाता है।
यह नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि जो तंत्र से जुड़े साधकों के लिए दस महाविद्या की साधना का समय है तीसरा चैत्र नवरात्रि और चौथे अश्विन मास के शारदीय नवरात्रि यह अंतिम दो नवरात्रि सामान्य जन-मानस के लिए माँ दुर्गे की पूजा का बड़ा ही उत्तम समय है। यदि इन नौ दिनों में माँ दुर्गा का नौ दिनों तक व्रत रखते हुए प्रतिदिन घर अथवा मंदिर में अपने बंधु-बांधवों सहित किसी ज्ञानी पंडित से नवरात्रि व्रत की विधि जानकर दुर्गा पूजन व दुर्गा जी की आरती (Durga Ji Ki Aarti) का सही उच्चारण करते हुए धूप-दीप और कपूर से आरती उतारी जाएं तो निश्चित ही देवी दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न होती है।
दुर्गा जी की आरती:-
अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनों पर माता, भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ों माँ करके सिंह सवारी।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टो को पल में संहारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत – कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखड़े निवारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे, इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
चरण शरण मे खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो, माँ सकंट हरने वाली।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली, भक्तो के कारज तू ही सारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥