हिन्दी सिनेमा जगत में दमदार अभिनय से कई दर्शकों के दिल पर राज करने वाले “कुलभूषण पंडित” उर्फ “राजकुमार” जिन्होंने अपने दमदार आवाज और डायलॉग की छाप अपने दर्शको के दिलो में छोड़ दी है इनको सारी फिल्म इंडस्ट्री और उनके दर्शक आज भी याद करते है आज हम आपको कुछ ऐसी बाते बताएगे इनके बारे में जो आपको शायद ही पता हो।
ऐसे शुरू हुआ फिल्मों का सफर…
पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई के माहिम थाने में सब इंस्पेक्टर बन गए । एक सिपाही ने राजकुमार से कहा कि हजूर आप रंग-ढंग और कद-काठी में किसी हीरो से कम नहीं है।इस बात पर राजकुमार सोच में पड़ गए और उन्होंने फिल्मो में अपनी किस्मत अजमाने का विचार कर लिया। पर उनका शुरुवाती सफर अच्छा नही रहा फिल्म की असफ़लता के कारण राजकुमार के रिश्तेदार भी ताने देने लगे की तुम्हारा चेहरा फिल्म के लिये नहीं है।पर फिर भी राजकुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए बराबर संघर्ष करते रहे।
फिर 1957 में इनकी एक फिल्म ‘मदर इंडिया’ आई । इस फिल्म से ही इन्हें ख्याति प्राप्त हुई, इसके बाद यह सफल हीरो के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनके द्वारा बोले गए डाईलॉग आज भी इनके चाहने वालो के कानो में गूंजते है । उनमे से कुछ हम आपको नीचे बताने जा रहे है ।
राजकुमार डायलॉग
- आपके पांव देखे, बहुत हसीन हैं, इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा मैले हो जाएंगे।
– फिल्म पाकीज़ा - ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं, हाथ कट जाए तो खून निकलने लगता है।
– वक्त - चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते।
– वक्त - आजकल का इश्क जन्मों का रोग नही है, वक्ती नशा है, शाम को होता है, सुबह उतर जाता है।
– बेताज बादशाह - काश कि तुमने हमे आवाज दी होती तो हम मौत की नींद से भी उठकर चले आते।
– फिल्म सौदागर - हमारी जुबान भी हमारी गोली की तरह है। दुश्मन से सीधी बात करती हैं।
– फिल्म तिरंगा - हम आंखो से सुरमा नहीं चुराते। हम आंखें ही चुरा लेते हैं।
– फिल्म तिरंगा - जानी…हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी और वह वक्त भी हमारा होगा।
– फिल्म सौदागर - इस दुनिया के तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी न तो अर्थी उठेगी ओर न किसी के कंधे का सहारा, सीधे चिता जलेगी।
-फिल्म मरते दम तक