भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है ये तो आप सभी जानते ही होंगे भारत एक कृषि प्रधान देश हैं यहाँ किसान साल भर खेती करते है और फसल पकने का इंतजार करते है। यदि फसल अच्छी हुई तो ठीक यदि ना हुई तो कई किसान आत्महत्या तक का मन बना लेते है ये खेती ही इनकी जमा पूंजी होती है आज हम ऐसे ही एक किसान के बारे में बात करने जा रहे है जिन्होंने पहली बार चंदन की खेती करने का सोचा जिनको चंदन की खेती के विषय में कोई अनुभव भी नही था। फिर भी उन्होंने ये रिस्क लिया चलिए जानते है उनके बारे में कौन है वो किसान?
जब गुजरात सरकार ने आम किसानो को चंदन की खेती करने की इजाजत दे दी तब सूरत के एक छोटे से गांव अलवा में रहने वाले किसान अल्पेश पटेल ने पहली बार चंदन की खेती करने का फैसला किया।हलाकि उन्हें अनुभव तो नही था की चंदन की खेती कैसे की जाए तो भी उन्होंने चंदन की खेती का मन बना ही लिया।
अल्पेश ने पहले ज़मीन खरीदी करीब 5 एकड़ फिर उसमे 1000 चंदन के पौधे लगा दिए पर उनका ये काम नाकाम साबित हुआ पौधे ख़राब हो गए परन्तु उन्होंने हार नही मानी उन्होंने राज्य के कृषि अनुसंधान संस्थान से मदद ली । संस्थान वालो ने अल्पेश के साथ आकर उनकी फसल पर शोध किया ।
बताया जाता है की चंदन की खेती को तैयार होने में 15 से 20 साल का समय लगता है इतना लम्बा समय चाहिए होता है चंदन की खेती के लिए मतलब सब्र रखना होता है।
जोखिम था इस निर्णय में पर अल्पेश ने इस खेती के लिए 10 लाख रूपये के आस-पास तक का निवेश किया और अब अल्पेश की इस मेहनत का फल करीब 15 साल में 15 करोड़ तक पहुँच गयी।
अल्पेश को राज्य में सर्वश्रेष्ठ किसान का खिताब मिल चुका है और वह सभी किसानों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बन गए हैं।