जम्मू या कटरा आप दोनों जगहों से शिवखोरी गुफा तक पहुंच सकते है। और यदि आप माँ वैष्णो देवी दर्शन के लिए जा रहे है तो भी कटरा से आप बस या फिर टैक्सी द्वारा आसानी से शिवखोरी पहुँच सकते हैं। इन स्थानों से शिवखोरी की दुरी लगभग 140 और 80 किमी दूर है। वहां के रनसू इलाके से शिवखोडी की गुफा में जाने के लिए लगभग 3 से 4 किमी की चढ़ाई है। शिवखोरी देवताओ की गुफा है यहाँ पर अपने आप ही एक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी। यहाँ स्थित शिवलिंग 150 मीटर ऊंचा है।ये जगह विनाश के देव शिव के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है यहाँ की दीवारों पर आपको देवी देवताओं की आकृति भी देखने को मिलेगी जो की बहुत अद्भुत लगती।
यह शिवलिंग 4 फीट ऊंचा है। इस शिवलिंग के ऊपर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। धार्मिक आस्था है कि इस गुफा में रखी भगवान शिव की पिण्डियों के दर्शन से हर मनोकामना पूरी हो जाती है और यह भी कहा जाता है कि इस गुफा को भगवान शंकर ने खुद बनाया था।
पुराण की कथाओ में बताया गया है कि भस्मासुर ने इसी गुफा में तप कर भगवान् शंकर को प्रसन्न किया और वरदान में यह माँगा की वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए। वर मिलते ही भस्मासुर, भगवान शंकर पर ही हाथ रखने के लिए आगे बढ़ा पर भगवान शंकर ने भस्मासुर से भीष्ण युद्ध किया परन्तु भस्मासुर बड़ी धीट प्रवती का था उसने युद्घ के बाद भी हार नहीं मानी। और भगवान शिव के पीछे पड गया। इसके बाद भगवान शंकर वहां से ऊंची पहाड़ी पर पहुंचे और एक गुफा में छिप गए।
बाद में यही गुफा शिव खोरी की गुफा के नाम से प्रचलित हुई। फिर भगवान शंकर को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुंदर स्त्री का रूप लेकर भस्मासुर को मोहित किया। और अपने सुंदर रूप के जाल में फसा कर भस्मासुर को नृत्य के लिए कहा उसी दौरान भस्मासुर शिव का वर भूल गया और अपने ही सिर पर हाथ रख कर भस्म हो गया।शिव खोरी की गुफा में शिव के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी की पिण्डियों के दर्शन होते हैं। यह गुफा स्वयंभू मानी जाती है। इनके साथ यहां सात ऋषियों, पाण्डवों और राम-सीता की भी पिण्डियां देखने को मिलती हैं।