रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ (  )

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ।

प्रेम छकी रसबस अलसाड़ी, जाणे कमलकी पाँखड़ियाँ॥

सुंदर रूप लुभाई गति मति, हो गईं ज्यूँ मधु माँखड़ियाँ।

रसिक बिहारी वारी प्यारी, कौन बसी निस काँखड़ियाँ॥

-बिहारी

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