Dialogues of Rajkumar – बॉलीवुड स्टार राजकुमार के 30+ सुपरहिट डायलॉग्स

RajKumar ke superhit dialogues in hindi
RajKumar superhit dialogues in hindi

बॉलीवुड में युं तो बहुत से कलाकार आते हैं, मगर कुछ ऐसे होते हैं जो अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा जाते हैं। ऐसे ही एक अभूतपूर्व कलाकार थे राजकुमार। जी हां जॉनी हम उन्हीं राजकुमार (RajKumar) की बात कर रहे हैं जिनकी डॉयलॉग (Dialogue) डिलीवरी की दुनिया आज तक कायल है। फिल्म अभिनेता राजकुमार (Actor Rajkumar) का स्टाइल असल में ही राजकुमार जैसा था, उनके बोलने, चलने और कपड़े पहनने के ढंग से आज तक दुनिया उन पर रस्क करती है। जिसने भी एक बार राजकुमार को देखा वो उनका कायल हो गया।

बॉलीवुड में राजकुमार/RaajKumar के बहुत से किस्से मशहूर थे, बताया जाता था कि अगर किसी फिल्म के डॉयलॉग राजकुमार को पंसद नहीं आते थे तो वे कैमरे के सामने ही डॉयलाग अपने मनमाकिफ बदल लेते थे, और क्या मजाल की निर्देशक उनसे कुछ बोल पाए।

राजकुमार के सुपरहिट डायलॉग्स लिस्ट | List of Rajkumar Dialogue in Hindi

बहरहाल हिंदी रसायन में हम अभिनेता राजकुमार के ऐसे ही कुछ सदाबहार डॉयलॉग (Rajkumar Evergreen Dialogues) आप के लिए लाएं हैं।

राजकुमार की तिरंगा फिल्म के डायलॉग | Rajkumar Tiranga movie best dialogue

  • हमारी जुबान भी हमारी गोली की तरह है। दुश्मन से सीधी बात करती है। – फ़िल्म ‘तिरंगा’ (1992)
  • ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से. – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)
  • अपना तो उसूल है. पहले मुलाकात, फिर बात, और फिर अगर जरूरत पड़े तो लात…… – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)
  • हम तुम्हे वो मौत देंगे जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी। – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)
  • हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं. – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)
  • जो भारी न हो.. वो दुश्मनी ही क्या। – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)

राजकुमार डायलॉग फिल्म ‘वक़्त’ | Rajkumar Waqt Film Dialogue

  • ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं हाथ कट जाए तो खून निकाल आता है। – राजा, वक़्त (1965)
  • राजा के ग़म को किराए के रोने वालों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी चिनॉय साहब। – राजा, वक़्त (1965)
  • चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। – राजा, वक़्त (1965)

राजकुमार की फिल्म ‘सूर्या’ के डायलॉग | Surya Film Mein Rajkumar Ke Dialogue

  • राजस्थान में हमारी भी ज़मीनात हैं. और तुम्हारी हैसियत के जमींदार, हर सुबह हमें सलाम करने, हमारी हवेली पर आते रहते हैं… – राजपाल चौहान, सूर्या (1989)
  • हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. – राजपाल चौहान, सूर्या (1989)
  • दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है. जिस रोज़ इस कुर्सी पर बैठकर हम इंसाफ नहीं कर सकेंगे, उस रोज़ हम इस कुर्सी को छोड़ देंगे. समझ गए चौधरी! – राजपाल चौहान, सूर्या (1989)

राजकुमार की ‘सौदागर’ फिल्म के डायलॉग | Saudagar Movie Raajkumar Best Dialogue

  • ताक़त पर तमीज़ की लगाम जरूरी है. लेकिन इतनी नहीं कि बुज़दिली बन जाए. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
  • जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
  • काश तुमने हमें आवाज़ दी होती.. तो हम मौत की नींद से उठकर चले आते – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
  • शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.. दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
  • जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

राजकुमार के डायलॉग फिल्म ‘मरते दम तक’ | Marte Dam Tak Rajkumar ke Dialogue

  • दादा तो दुनिया में सिर्फ दो हैं. एक ऊपर वाला और दूसरे हम. – राणा, मरते दम तक (1987)
  • इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी ना तो अर्थी उठेगी और ना किसी कंधे का सहारा. सीधे चिता जलेगी. – राणा, मरते दम तक (1987)
  • बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता. – राणा, मरते दम तक (1987)
  • हम कुत्तों से बात नहीं करते. – राणा, मरते दम तक (1987)
  • ये तो शेर की गुफा है. यहां पर अगर तुमने करवट भी ली तो समझो मौत को बुलावा दिया. – राणा, मरते दम तक (1987)
  • बाजार के किसी सड़क छाप दर्जी को बुलाकर उसे अपने कफन का नाप दे दो। – मरते दम तक

राजकुमार डायलॉग फिल्म ‘बेताज बादशाह’ | Rajkumar Betaaj Badshah Movie Dialogues

  • हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख बदल देते हैं. – पृथ्वीराज, बेताज बादशाह (1994)
  • औरों की ज़मीन खोदोगे तो उसमें से मट्टी और पत्थर मिलेंगे. और हमारी ज़मीन खोदोगे तो उसमें से हमारे दुश्मनों के सिर मिलेंगे. – पृथ्वीराज, बेताज बादशाह (1994)
  • आजकल का इश्क जन्मों का रोग नही है, वक्ती नशा है, शाम को होता है, सुबह उतर जाता है – बेताज बादशाह

राजकुमार की फिल्म ‘पुलिस पब्लिक’ के डायलॉग | Police Public Raajkumar Movie Dialogues

  • मिनिस्टर साहब, गरम पानी से घर नहीं जलाए जाते. हमारे इरादों से टकराओगे तो सर फोड़ लोगे. – जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)
  • हुकम और फर्ज़ में हमेशा जंग होती रही है. याद रहे महा सिंह, इस मुल्क पर जहां बादशाहों ने हुकूमत की है, वहां ग़ुलामों ने भी की है. जहां बहादुरों ने हुकूमत की है, वहां भगौड़ों ने भी की है. जहां शरीफों ने की है, वहां चोर और लुटेरों ने भी की है. – जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)
  • कौवा ऊंचाई पर बैठने से कबूतर नहीं बन जाता मिनिस्टर साहब! ये क्या हैं और क्या नहीं हैं ये तो वक्त ही दिखलाएगा. – जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)
  • महा सिंह, शेर की खाल पहनकर आज तक कोई आदमी शेर नहीं बन सका.और बहुत ही जल्द हम तुम्हारी ये शेर की खाल उतरवा लेंगे. – जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)

राजकुमार की फिल्म ‘बुलंदी’ के डायलॉग | Bulandi Movie Rajkumar Dialogue

  • बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने. ये बद्तमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं – प्रोफेसर सतीश ख़ुराना, बुलंदी (1980)
  • इरादा पैदा करो, इरादा. इरादे से आसमान का चांद भी इंसान के कदमों में सजदा करता है. – प्रोफेसर सतीश ख़ुराना, बुलंदी (1980)

राजकुमार की फिल्म ‘जंग बाज़, इंसानियत का देवता ’ के डायलॉग | Jung Baaz and Insaniyat Ke Devta Movie Raaj Kumar Best Dialogue

  • तुमने शायद वो कहावत नहीं सुनी महाकाल, कि जो दूसरों के लिए खड्डा खोदता है वो खुद ही उसमें गिरता है. और आज तक कभी नहीं सुना गया कि चूहों ने मिलकर शेर का शिकार किया हो. तुम हमारे सामने पहले भी चूहे थे और आज भी चूहे हो. चाहे वो कोर्ट का मैदान हो या मौत का जाल, जीत का टीका हमारे माथे ही लगा है हमेशा महाकाल. तुमने तो सिर्फ मौत के खड्डे खोदे हैं, जरा नजरें उठाओ और ऊपर देखो, हमने तुम्हारे लिए मौत के फरिश्ते बुला रखे हैं. जो तुम्हे उठाकर इन मौत के खड्डों में डाल देंगे और दफना देंगे. – कृष्ण प्रसाद, जंग बाज़ (1989)
  • जब खून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और चीख़-चीख़कर पुकारता है कि मेरा इंतक़ाम लो, मेरा इंतक़ाम लो – जेलर राणा प्रताप सिंह, इंसानियत का देवता (1993)

[Images] Most Famous Dialogues of Rajkumar

हमारी जुबान भी हमारी गोली की तरह है। दुश्मन से सीधी बात करती है।
– फ़िल्म  ‘तिरंगा’ (1992)

RaajKumar Dialogues_14 ye bacchon ke khelne ki cheez nahi hath cut jaye to khoon nikal jaata hain film Waqt 1965 ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं हाथ कट जाए तो खून निकाल आता है
ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं हाथ कट जाए तो खून निकाल आता है
Rajkumar Best Dialogues13 taqat par tameez ki lagaam jaruri hai lekin itni nhi ki bujdili ban jaye film saudagar 1991 ताकत पर तमीज़ की लगाम जरुरी है लेकिन इतनी नहीं कि बुजदिली बन जाए
ताकत पर तमीज़ की लगाम जरुरी है लेकिन इतनी नहीं कि बुजदिली बन जाए
RajKumar ke Dialogue 08 jab rajeshwar dosti nibhata hai to afsane likhe jaate hain jab dushmani nibhata hain to tarikh ban jaati hain film saudagar 1991 | जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

राजस्थान में हमारी भी ज़मीनात हैं. और तुम्हारी हैसियत के जमींदार, हर सुबह हमें सलाम करने, हमारी हवेली पर आते रहते हैं…
– राजपाल चौहान, सूर्या (1989)

RaajKumar ke Dialogues_09 jb khoon tapkta hain to jam jaata hain apna nishaan chhod jaata hain aur chikh-chikhkar pukarta hain mera inteqam lo mera inteqam lo film Insaniyat Ke Devta 1993 | जब ख़ून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और चीख़-चीख़कर पुकारता है कि मेरा इंतक़ाम लो, मेरा इंतक़ाम लो – जेलर राणा प्रताप सिंह, इंसानियत का देवता (1993)
जब खून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और चीख़-चीख़कर पुकारता है कि मेरा इंतक़ाम लो, मेरा इंतक़ाम लो – जेलर राणा प्रताप सिंह, इंसानियत का देवता (1993)
RajKumar Dialogues_10 kaash ki tumne hume aawaz di hoti to hum maut ki neend se uthkar chale aate film saudagar 1991 | काश तुमने हमें आवाज़ दी होती.. तो हम मौत की नींद से उठकर चले आते. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
काश तुमने हमें आवाज़ दी होती.. तो हम मौत की नींद से उठकर चले आते – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
Ra jKumar Dialogues hindi me 12 sher ko saanp aur bichoo kaata nahi karte dur hi dur se rengtey hue nikal jaate hain film saudagar 1991 | शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.. दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.. दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)
Tiranga Movie Best Dialogue RajKumar "naa talwar ki dhar se naa goliyon ki bochhar se banda darta hain to sirf parwardigaar se Tirangaa 1992"
ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से. – ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा
Rajkumar Saudagar Film ka Dialogue jaani... hum tumhe marenge, aur jarur marenge... lekin woh bandook bhi hamari hogi ,goli bhi hamari hogi aur waqt bhi hamara hoga film saudagar 1991
जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा. – राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

अपना तो उसूल है. पहले मुलाकात, फिर बात, और फिर अगर जरूरत पड़े तो लात……
– ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)

RaajKumar Dialogues_07 iss duniya me tum pehle aur aakhri badnaseeb honge jiski na to arthi uthegi na kisi kandhe ka sahara milega sidhe chita jalegi film marte dam tak 1987 इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी न तो अर्थी उठेगी न किसी कंधे का सहारा मिलेगा सीधे चिता जलेगी
इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी न तो अर्थी उठेगी न किसी कंधे का सहारा मिलेगा सीधे चिता जलेगी
RajKumar Famous Hindi Dialogues 06 hum wo collector nhi jinka tabadla foonk maarkar kiya jaa sake,collectri to hum sauk ke liye karte hain , rozi roti ke liye nhi film surya 1989 हम वो कलेक्टर नही जिनका तबादला फूंक मारकर किया जा सके,कलेक्टरी तो हम शौक के लिए करते हैं रोजी रोटी के लिए नहीं
हम वो कलेक्टर नही जिनका तबादला फूंक मारकर किया जा सके,कलेक्टरी तो हम शौक के लिए करते हैं रोजी रोटी के लिए नहीं
Evergreen Dialogues of RajKumar 16 hum tumhe wo maut denge jo na to kisi kanoon ki kitab me likhi hogi aur naa kisi mujrim ne sochi hogi film Tirangaa 1992 हम तुम्हें वो मौत देंगे जो न तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और न कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी
हम तुम्हें वो मौत देंगे जो न तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और न कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी
RaajKumar ke hindi Dialogues_15 hum apne kadmon ki aahat se hawaon ka rukh badal dete hain film betaaj badshah 1994 हम अपने क़दमों की आहट से हवा का रुख बादल देते हैं
फिल्म बेताज बादशाह में राजकुमार का मशहूर डॉयलाग “हम अपने क़दमों की आहट से हवा का रुख बादल देते हैं”
RaajKumar Dialogues_01 botiyan nochne wale gidad gala fadne se sher nhi ban jaate film marte dam tak 1987 | बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता. – राणा, मरते दम तक (1987)
बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता. – राणा, मरते दम तक (1987)
RaajKumar Dialogues_03 dada to duniya me sirf do hain ek upar wala aur dusre hum film marte dam tak 1987 दादा तो दुनिया में सिर्फ दो हैं एक ऊपर वाला दूसरे हम
दादा तो दुनिया में सिर्फ दो हैं एक ऊपर वाला दूसरे हम
RaajKumar Dialogues_04 delhi tak baat mashoor hain, rajpal chauhan ke haath me tumbanku ka pipe aur jaib me istifa rehta hain film surya 1989 दिल्ली तक बात मशहूर हैं,राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता हैं
दिल्ली तक बात मशहूर हैं,राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता हैं
Famous RaajKumar Dialogues_05 RaajKumar Dialogues_04 hum aankhon se surma nahi churate hum aankhen hi chura lete hain film Tirangaa 1992 हम आँखों से सुरमा नही चुराते हम आँख ही चुरा लेते हैं
हम आँखों से सुरमा नही चुराते हम आँख ही चुरा लेते हैं
Best Dialogues of RajKumar chinoy seth, jinke apne ghar sheeshe ke hote ho wo doosron par patthar nhi phenka karte film Waqt 1965 चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के होते है वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। फिल्म वक्त 1965
चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के होते है वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। फिल्म वक्त 1965

हम कुत्तों से बात नहीं करते.
– राणा, मरते दम तक (1987)

बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने. ये बद्तमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं
– प्रोफेसर सतीश ख़ुराना, बुलंदी (1980)

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