माउंट एवरेस्ट का नाम तो आपने जरुर सुना होगा इसकी चढ़ाई इतनी मुश्किल है कि हर कोई आसानी से नहीं चढ़ सकता। लेकिन हजार मुश्किलों के बाद कुछ लोग फिर भी चढ़ ही जाते हैं। यहाँ कई लोग पर्वतारोहण के लिए आते ही रहते हैं। पर्वतारोहण के दौरान यहाँ आए लोगों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
जैसे-खराब मौसम, हिमस्खलन, खाने-पीने की समस्या, बर्फ की वजह से शरीर का सुन्न हो जाना और वहा के टेढ़े-मेढ़े रास्ते..
![mount everest](https://hindirasayan.com/wp-content/uploads/2018/05/माउंट.jpg)
अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं
![dead bodies](https://hindirasayan.com/wp-content/uploads/2018/05/dead-bodies.jpg)
कई लोगों के लिए ये सफर इतना कठिन हो जाता है कि न तो वो वापस आ पाते हैं न ही मंजिल तक पहुंच पाते हैं। ऐसे में वह बीच सफर में ही यहां दम तोड़ देते हैं। दुर्भाग्यवश कितनो को तो अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं होता सदियों तक लाशों के रूप में वहीं पड़े रहते हैं।
200 लाशें ऐसी है
![More than 200 dead bodies](https://hindirasayan.com/wp-content/uploads/2018/05/More-than-200-dead-bodies.jpg)
माउंट एवरेस्ट पर लगभग 200 से ज्यादा लाशें ऐसी हैं जो सालों से यहाँ पड़ी हुई हैं। इन लाशों को नीचे लाकर अंतिम संस्कार करना मुमकिन नहीं इस वजह से अब ये लाशें लैंडमार्क बनी हुई है।
Hannelore Schmatz
यहाँ ये लाश Hannelore Schmatz नाम की महिला की है जो जर्मनी से थी।
![hannelore schmatz](https://hindirasayan.com/wp-content/uploads/2018/05/hannelore-schmatz.jpeg)
इनके लिए कहा जाता है कि चढ़ाई के दौरान ये बेहद थक गई और आराम करने के लिए अपने बैग के सहारे लेट गईं और उसी अवस्था में उनकी जान चली गई।
कहा जाता है कि Hannelore Schmatz माउंट एवरेस्ट पर मरने वाली पहली महिला थी।
ग्रीन बूट्स
![green boots](https://hindirasayan.com/wp-content/uploads/2018/05/green-boots.jpeg)
माउंट एवरेस्ट पर मौजूद लगभग हर लाश को नाम दिया गया है। इस तस्वीर में दिख रही लाश को ‘ग्रीन बूट्स’ कहा जाता है। बताया जाता है कि यह सेवांग पालजोर का शव है। उनकी मौत 1999 में आए तूफान की वजह से हो गई थी।