कारगिल विजय दिवस स्पेशल : 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई विजय की जंग

कारगिल विजय दिवस स्पेशल : 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई विजय की जंग (  )
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आज कारगिल में लड़ी गई लड़ाई को पुरे 19 साल हो गए है 26 जुलाई 1999 भारत ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी। तभी से इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है। ये युद्ध लगभग दो महीने तक 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ी गईे। इस जंग में हमने अपने लगभग 527 से ज्यादा वीर जवानों को खोया था और उस जंग में हमारे 1300 से ज्यादा जवान घायल थे।

कहने को तो लोगों के लिए ये 19 साल लगेगा लेकिन जिनके घरों के दीपक बुझे हो जिनकी मांग उजड़ी हो उनके लिए तो आज भी ये दिन दर्द से भरा हुआ है।आज हम आपको उस वक्त कारगिल में घटी कुछ घटनाओं के बारे में यहाँ बताने जा रहे हैं।

Kargil war picture

पाकिस्तान ने सन 1998 में ही भारत पर हमला करने का प्लान बना लिया था लेकिन युद्ध की शुरूआत उन लोगों ने 3 मई 1999 को कारगिल की ऊंची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ करके करदी । जब हमारी भारत सरकार को इसकी सूचना मिली तो भारतीय सेना को भेजकर पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया था।

क्या हुआ उस दौरान…?

3 मई 1999  एक चरवाहे ने जब पाकिस्तानी सेना को भारत में घुसते देखा तो उसने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर लेने की सूचना दी। जब भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 जवान को मार दिया। पहली बार लद्दाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया।

position points

कारगिल युद्ध में पाकिस्तानियों द्वारा की गई गोलाबारी से भारतीय सेना  का गोला बारूद का स्टोर सारा नष्ट हो गया था। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया।

युद्ध में मिग-17 हैलीकॉप्टर पाकिस्तान द्वारा मार गिराया गया था जिसमें भारतीय फौजी शहीद हो गए थे। कारगिल के इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। जिसमें 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट का युद्ध में इस्तेमाल किया जाता था।

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कारगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से लगभग 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे 17 दिनों में प्रतिदिन हर आर्टिलरी बैटरी से एक मिनट में एक राउंड फायर किया जाता था । बताया जाता है कि ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी।

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6 जून को भारतीय सेना ने पूरी ताकत से पाकिस्तान पर जवाबी हमला शुरू कर दिया। इसी दौरान बाल्टिक में 2 चौकियों पर भारतीय सेना ने कब्जा जमा लिया। इसके बाद 13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलिंग पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नजदीक दो चौकियां जो पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे में थी पोइंट 5060 और पोइंट 5100 को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।

जब भारतीय सेना सभी स्थानों पर अपना परचम लहराने लगी तो पाकिस्तानी रेंजर्स ने भागना शुरू कर दिया।  फिर क्या था 14 जुलाई को भारतीय  प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा कर दी।   पीएम ने 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मानाने का आदेश दिया।

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तब से अब तक 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।

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