कुदरत हमको रोज सिखाती
जग हित में कुछ करना सीखे
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अपने लिए सभी जीते है|
औरो के हित मरना सीखो
सूरज हमे रोशनी देता
तारे शीतलता बरसाते
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चाँद बाटता अमृत सबको
बादल वर्षा –जल दे जाते
जुगनू से ज्यो थोडा थोडा
अंधकार हम हरना सीखे
बिन अभिमान पेड़ देते है|
बिज फुल फल ठंडी छाया
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ये दधिची बनकर हर युग में
न्योछावर कर देते काया
मौसम चाहे कैसा भी हो
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तरु की तरह निखरना सीखो
गहरी नदिया निर्झर नाले
निर्मल जल दिन-रात बहाते
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उचे –निचे पर्वत ही तो
इन सोतो के जनक कहलाते
एसे त्यागी बनकर हम
बूंद-बूंद कर झरना सीखे
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सबका पालन करने वाली
अन्न उगाती धरती प्यारी
उथल –पुथल खुद ही सह लेती
महकती जीवन फुलवारी
जीवन देती प्राण वायु बन
चारो ओर विचरना सीखे
-गोपाल कृष्ण