मन

मन (  )

मन  

रहिमन मनही लगाई के,

देखि  लेहु  किन  कोय|

नर को बस करिबो कहा,

नारायण बस होय||

मन को स्थिर करके

कोई  क्यों  नहीं देख लेता,

इस परम  सत्य  को की,

मनुष्य  को वश में  कर लेना

तो बात ही क्या,

नारायण भी वश में हो जाते है|

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