यहाँ एक ऐसे किसान की बात हो रही है जिसने सिर्फ खेती के लिए अपनी इंजीनियर की नौकरी छोड़ना पसंद की जैसलमेर के हरीश धनदेव ने कीया नौकरी और खेती में ,खेती का ही चुनाव जानिए इसके पीछे क्या है कहानी नीचे पढ़िए।
हरीश की कहानी:
हरीश धनदेव ने जयपुर से बीटेक करने के बाद दिल्ली से एमबीए करने के लिए एक कॉलेज में दाख़िला लिया, लेकिन पढ़ाई के बीच में ही उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई तो वो दो साल की एमबीए की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। हरीश जैसलमेर की नगरपालिका में जूनियर इंजीनियर के पद पर थे। यहां महज दो महीने की नौकरी के बाद उनका मन नौकरी से भर गया। हरीश की कुछ अलग करने की चाहत इतनी बढ़ गई थी कि वो नौकरी छोड़कर अपने लिए क्या कर सकते हैं इस पर बहुत सोचना शुरु कर दिया।
ऐसे की नई शुरुवात:
हरीश का मन खेती में कुछ अलग करने का था। तो उनके एक सलाहकार ने एलोवेरा की खेती के बारे में सलाह दी। तब वह दिल्ली में खेती-किसानी पर आयोजित एक प्रोग्राम में नई तकनीक और नए जमाने की खेती के बारे में जानकारी हासिल करने गए इसके बाद हरीश ने तय किया कि वो एलोवेरा उगाएंगे फिर वह एलोवेरा के पौधे लेकर जैसलमेर लौटे।
फिर शुरू हुई खेती:
हरीश ने बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय से 25 हजार प्लांट लाए और करीब 10 बीघे में उसे लगाया। आज हरीश 700 सौ बीघे में एलोवेरा उगाते हैं
ऐसे किया बेचना शुरू:
उन्होंने कुछ एजेंसियों से बातचीत की और पत्तों की बिक्री का एग्रीमेंट इन कंपनियों से हो गया। इसके कुछ दिनों बाद कुछ दोस्तों से इस काम को और आगे बढ़ाने के बार में बात हुई। हरीश ने इसके बाद अपने सेंटर पर ही एलोवेरा लीव्स से निकलने वाला प्रोडक्ट पल्प को निकाल कर बेचना शुरु कर दिया।
और मुनाफा होने लगा:
उनके पास उत्पाद भी अधिक मात्रा में आने लगे थे। फिर उन्हें पतंजलि के बारे में पता चला,बस क्या था फिर उन्होंने तुरंत पतंजलि को मेल भेजकर अपने बारे में बताया। पतंजलि का जवाब आया हां में बस उस दिन के बाद हरीश की किस्मत चमक गई अब हरीश एलोवेरा पल्प की सप्लाई बाबा रामदेव द्वारा संचालित पतंजली आयुर्वेद को करते है खेती ने हरीश को बना दिया करोड़पति किसान।