श्रीमद्भागवद् गीता को अगर घर में रख जाएं तो उसका बहुत माहात्म्य हैं। इस कहानी के जरिए आप जान जाएंगे की कैसे सिर्फ श्रीमद्भागवद् गीता के एक पन्ने से ही एक इंसान की जान बच जाती हैं।
एक बार की बात हैं एक सिपाही रात के समय कहीं से आ रहा था। रास्ते में उसने देख की एक पेड के नीचे एक बहुत सुंदर स्त्री बैठी हैं। उसने उस स्त्री से बात की तो वह कहने लगी “ मैं तुम्हारे साथ चल सकती हूँ क्या ?” सिपाही ने कहा – हाँ क्यूँ नही। सिपाही के ऐसा कहने पर वह उसके पीछे – पीछे चल दी। दरअसल वह स्त्री वास्तव में चुडैल थी। अब वह रोज़ रात में उस सिपाही के पास आ जाती और रात में उस के साथ सोती और सुबह होने से पहले वहाँ से चली जाती। इस तरह वह सिपाही का खून चूसने लगी जिसके कारण सिपाही बहुत कमजोर हो गया।
एक रात वे दोनों बिना बत्ती बंद करें ही लेट गए। तब सिपाही ने उस स्त्री से बत्ती बंद करने को कहा, तो उसने वही लेटे – लेटे बत्ती बंद कर दी। अब सिपाही को समझ में आया की यह कोई साधारण स्त्री नही हैं यह तो कोई चुडैल लगती हैं। चुडैल भी समझ चुकी थी कि सिपाही उसके बारे में जान चुका हैं तो उसने उसे धमकी देते हुए कहा, अगर तुमने ये बात किसी को बताई तो में तुम्हें मार दूंगी। बेचारा सिपाही अब ये बात किसी को बता भी नही सकता था।
अब वह धीरे- धीरे सूखता जा रहा था। कुछ लोगों ने तो उसके सूखने का कारण भी पूछा लेकिन वह चाहकर भी किसी को कुछ बता नही सकता था। जब वो ज्यादा बीमार रहने लगा तो वह दवाई लेने गया।
वैध ने उसे दो पुडिया बांध कर दे दी। वो दोंनों पुडिया उसने अपनी जेब में डाल ली और अपने घर पहुँच गया। घर पहुँचते ही उसने देखा चुडैल पहले से ही वहाँ खड़ी थी लेकिन आज वह उसके पास नही आयी और दूर से ही बोली “ तेरी जेब में जो पुड़िया हैं उन्हें फेंक दें ” तब सिपाही ने सोचा इस पुड़िया में जरूर कोई बात हैं जिसकी वजह से ये आज मेरे पास नही आ रही हैं। तो भला वो क्यूँ पुड़िया फेंकने लगा उसने चुडैल से पुड़िया फेंकने के लिए तुरंत मना कर दिया। जिसकी वजह से चुडैल वहाँ से चली गई।
चुडैल के जाने के बाद उसने उन पुडिया को खोल के देखा तो वह हैरान हो गया क्योंकि उन पुड़िया का कागज़ कोई आम कागज नही थी। दरअसल वह श्रीमद्भागवद् गीता का एक पन्ना था। उस घटना के बाद से उस सिपाही ने अपने पास श्रीमद्भागवद् गीता रखनी शुरू कर दी और इतना ही नही अब वह उस चुडैल के चुंगल से भी बाहर निकल चुका था।