कारगिल शहीदों की अमर गाथा… : डॉ. हरिओम पंवार

Dr. Hariom Panwar Kavita Kargil Amar Shaheedo Ki Gatha
डॉ. हरिओम पंवार की कविता : कारगिल युद्ध के शहीदों की अमर गाथा…

मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं,
उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया हूं
जिन माथे की कंकुम बिंदी वापस लौट नहीं पाई
चुटकी, झुमके पायल ले गई कुर्वानी की अमराई

कुछ बहनों की राखी जल गई है बर्फीली घाटी में
वेदी के गठबंघन मिल गये हैं सीमा की माटी में
पर्वत पर कितने सिंदूरी सपने दफन हुए होंगे
बीस बसंतों के मधुमासी जीवनहरण हुए होंगे

टूटी चूडी, धुला महावर, रूठा कंगन हाथों का
कोई मोल नहीं दे सकता बासंती जज्बातों का
जो पहले-पहले चुम्बन के बादलाम पर चला गया
नई दुल्हन की सेज छोडकर युद्ध काम पर चला गया

उसको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी
खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी
उन आखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं

गीली मेंहदी रोई होगी छुप के घर के कोने में
ताजा काजल छूटा होगा चुपके चुपके रोने में
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आंगन में..
शायद दूध उतर आया हो बूढी मां के दामन में

वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सर ले सकती है,
जो अपने पती की अर्थी को भी कंधा दे सकती है
मै ऐसी हर देवी के चरणो मे शीश झुकाता हूं,
इसिलिये मे कविता को हथियार बना कर गाता हूं

जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है,
उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है
गरम दहानो पर तोपो के जो सीने आ जाते है,
उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड जाते है

उनके लिये हिमालय कंधा देने को झुक जाता है
कुछ पल को सागर की लहरो का गर्जन रुक जाता है
उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ जैसा होता है,
चित्र शहीदो का मंदिर की मूरत जैसा होता है

जिन बेटो ने पर्वत काटे है अपने नाखूनो से,
उनकी कोई मांग नही है दिल्ली के कानूनो से
सेना मर-मर कर पाती है, दिल्ली सब खो देती है…..
और शहीदों के लौहू को, स्याही से धो देती है……
मैं इस कायर राजनीति से बचपन से घबराता हूँ…..
इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ।।

– डॉक्टर हरिओम पंवार (कवि)

https://youtu.be/IH8QYP_eI-o?t=10m55s

No Data
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes:

<a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>