आजकल जैविक और अजैविक पदार्थो के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है और वातावरण प्रदूषित होकर, मानव जाति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध रहेगा और मनुष्य एवं प्रत्येक जीवधारी स्वस्थ रहेंगे।
खेती के इन तरीको से कोशिश है की मिट्टी की उर्वरता का निर्माण और रख रखाव बना रहे इसके लिए फसले उगाना, फसलो का परिक्रमण, जैविक खाद और कीटनाशक और न्यूनतम जुताई आदि तरीके है मिट्टी मे मूल जैविक तत्व प्राकृतिक पौधो के पौष्टिक तत्वों से बना है, जो की हरी खाद, पशु का खाद, कम्पोस्ट और पौधो के अवशेष से बना है।
जैविक खेती से होने वाले लाभ
भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है। सिचाई अंतराल में वृद्धि होती है।रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।फसलों की उत्पादकता में वृद्धि।
जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं। भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा।
पर्यावरण को भी है लाभ
भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है। मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है। कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है। फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना एक लाभ दायक सौदा होता है।