Feroz Khan (Mahabharat Arjun) and Dharmendra Incident on shooting of Film Kal ki Awaz
बी. आर. चोपड़ा महाभारत (Mahabharat of B.R.Chopra) के पात्र अर्जुन उर्फ़ फिरोज खान ने एक न्यूज़ चैनल को इंटरव्यू देते वक्त बताया कि बॉलीवुड के ही मैन धर्मेंद्र किस तरह के व्यक्ति थे उन्होंने मेरे लिए क्या किया।
फिरोज खान बताते है कि मैं उन दिनों महाभारत की शूटिंग कर रहा था तो एक दिन रवि चोपड़ा जी ने मुझे “कल की आवाज” के लिए एक सरदार का किरदार दे दिया। जिसमें धर्मेंद्र जी लीड रोल में थे। शूटिंग के दौरान मैं उन्हें उनका फेवरेट गाना सुनाता रहता था “मैं निगाहें तेरे चेहरे से हटाउ कैसे…” और धर्म जी मुझे कहते थे
फिरोज खान (अर्जुन) आगे बताते हुए कहते है कि वो मुझे बड़ा प्यार करते थे और आज भी करते है। उन दिनों सलीम अख्तर एक फिल्म बना रहे थे जिसका नाम था “जिगर”उन्हें एक गुड लुकिंग फाइटर किस्म का बंदा चाहिए था। सलीम साहब को मेरे बारे में मालूम था तो उन्होंने मुझे बुलवा लिया। अब उनकी एक शर्त थी कि परसो आना है नहीं तो हम रोल किसी ओर को दे देंगे।
मैं धर्मेंद्र जी के साथ ऊटी (Ooty) पर था। कल की आवाज की शूटिंग चल रही थी। मुझे परसो जाना है और मेरा रोल अभी तक शूट नहीं हुआ। रवि चोपड़ा को मैं बोल नहीं सकता नहीं तो वो बोलेंगे “इतने सारे बड़े एक्टर बैठे हुए है धर्मेन्द्र जी बैठे हुए है हीरोइन बैठी हुई है उनका शॉट लू या पहले तेरा?” मैं सिर्फ एक कैरेक्टर एक्टर।
कल की आवाज़ में मेरा सरदार का रोल है। जरूर देखियेगा…
फिरोज़ जी आगे कहते हैं कल की आवाज़ में मेरा सरदार का रोल है। जरूर देखियेगा।
अब मैं बड़ा परेशान… क्या करूँ?
मैं सीधा धरम जी के पास चला गया। पाजी मैंनू तोडे नाल गल करनी। वो बोले हाँ बोल।
मैंने कहा, “मुझे एक फ़िल्म मिली है जिगर ”
धरम जी ने पूछा – “ओ किसकी फ़िल्म है?” मैंने बताया कि सलीम अख्तर जी की। डेट के मामले में बड़े स्ट्रिक्ट है और परसो जाना है मुझे।
धरम जी बोले – “हाँ, स्ट्रिक्ट तो है। तेरी शूटिंग हो गयी?”
नहीं, आप रवि जी को मत बताना नहीं तो वो इस रोल से निकाल देंगे।
धर्मेन्द्र जी शूटिंग पर डेढ़ बजे आते थे तो अगले दिन गुफी पेंटल को बुला कर बोले – “इधर आ, केड़े सीन करने है।”
गुफी समझाने लग गए। धरम जी ने मेरी और इशारा करते हुए कहा – “अच्छा, ये मुंडा है। मैं देखता हूं रोज मेक अप करके दाढ़ी-वाड़ी लगा के सरदार बनके बैठा रहता है। इसको दाढ़ी चुभती नहीं? इसका सीन कब ले रहे हो।
गुफी: वो इसका बाद में ले लेंगे। पहले आपका और बाकी सबका ले लें।
तो धरम जी बोले इसका सीन बता मेरे को, तो गुफी ने मेरा सीन बताया।
यार इसके साथ शूटिंग क्यों नहीं कर लेते?
अब रवि चोपड़ा साहब मेरा मुँह देखे मेरी हवा पानी टाइट। मैं बोला – “मैंने कुछ नहीं कहा।”
धरम जी: अच्छा कितने सीन है इसके?
पाजी चार सीन है चार अलग-अलग लोकेशन पर।
बोले इसमें कितना टाइम लग जायेगा।
गुफी: पाजी 2-3 दिन लग जायेंगे।
धरम जी: अगर एक दिन में करना चाहे तो हो जाएगा? सीन छोटे कर लेना, यार!।
नहीं, इसके रोल बड़े इम्पोर्टेन्ट है। छोटे नहीं हो सकते।
रवि चोपड़ा बोले कि पाजी एक शर्त है अगर आप सुबह 9 बजे आ जाओ तो मैं शाम तक सारे इसके शॉर्ट फिनिश कर दूंगा।
बोले डन।
अब किसी ने एक्सपेक्ट नहीं किया था। रवि जी मुझसे पूछें कि तूने कुछ बोला? मैंने कहा, “मैं क्या बोलूंगा।”
एक दिन बाकी था तो मैंने सलीम अख्तर जी के यहाँ श्रीवास्तव जी को फ़ोन कर दिया कि मैं परसो आ रहा हूँ उन्होंने कहा ठीक है सेट लगा हुआ है।
अगले दिन सुबह के सवा आठ बजे और धर्मेन्द्र जी की गाड़ी आ गयी। हाँ जी! किथे हो चलो शॉर्ट लो। सब हैरान कि धरम जी कैसे आ गये।
9 बजे शॉर्ट स्टार्ट हुआ और रात के पौने 12 बजे तक मेरा सीन खत्म हुआ। 5 बजे जाने वाला बन्दा मेरे लिए रात के पौने 12 बजे तक रुका रहा।
मेरा गाल थपथपा कर बोले तू जा और मेरा सलाम कहना। तू जाएगा तब मैं यहाँ से निकलूंगा। मेरी गाड़ी रेडी थी। मैंने रवि चोपड़ा से कहा कि मैं जा रहा हुँ। वो बोले, “I know. I see you bombay.”
तो मैं ऊटी से मैसूर(Mysore) गया और मैसूर से बैंगलूर।
किस्मत खराब, जब मैं बेंगलुरु पहुँचा तो प्लेन की स्ट्राइक थी। सिर्फ एक प्लान थी जो बॉम्बे जा रही थी। मैंने किसी तरह उन लोगो को रिक्वेस्ट की। तब जाकर बॉम्बे पहुँचा। मैं जब बॉम्बे में फिल्मिस्तान स्टूडियो पहुँचा तो सलीम भाई बोले ओके पहला शॉर्ट अब तुम्हारा लेंगे हम तो वहाँ से जिगर फ़िल्म स्टार्ट हुई।
जिगर मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा रोल थी। उसके बाद तो मैंने फूल और अंगार, मेहंदी, आदमी (1993), करण-अर्जुन और न जाने कितनी फिल्में की वो भी बड़े बड़े एक्टर्स के साथ।