बहुत समय की बात है रामपुर गाँव में सोनू और मोनू नाम के दो गहरे मित्र रहते थे। एक दिन गरीबी से दुःखी होकर दोनों ही रोज़गार की खोज में बम्बई शहर चले गए। बम्बई आकर सोनू को बड़े होटल में बावर्ची की नौकरी मिल गई जहाँ वेतन के अलावा तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन भी मिलते थे और ऊपर से ऊपरी आमदनी भी काफी थी वह थोड़े ही समय में बहुत धनवान हो गया।
मोनू बेचारा किसी किसान के घर खाना पकाने का काम करने लगा। किसान के खेत में जो कुछ पैदा होता, उसी से उनकी रसोई का खर्च चलता था। उसके घर की रसोई केवल दाल और रोटी ही पकती थी। मोनू को वेतन भी हर महीने नहीं मिल पाता था और भोजन भी इतना खास नहीं मिलता था वह बहुत कमज़ोर होता जा रहा था।
जब एक दिन दोनों मित्र आपस में मिले तो सोनू मोनू से मज़ाक करने लगा कि तुमने कैसे कंजूस के यहाँ नौकरी की है। तुम्हें समय पर वेतन भी नहीं देता न ही खाना अच्छा देता है यह सुनकर मोनू चुप रहा।
कुछ समय बाद सोनू मोनू ने जब धन जमा कर लिया तो उन्होंने वहां से छुट्टी लेकर अपने घर जाने का विचार किया और दोनों ने घर जाने का दिन भी तय कर लिया। जब मोनू अपने मालिक से छुट्टी मांगने गया तो उन्होंने मना कर दिया। मोनू चुप रह गया जब घर जाने का दिन आया तब मोनू ने अपने मालिक से कहा कि मेरा एक मित्र घर जा रहा है। यदि आपकी अनुमति हो तो बच्चों के लिए कुछ भेज दूँ?”
मोनू के मालिक ने जेब में हाथ डाला उस समय केवल 5रु उनकी जेब में थे वो उन्होंने निकालकर मोनू को दे दिये। गरीब मोनू भला मालिक से क्या कह सकता था 5रु जेब में डालकर खामोश हो गया, सोचा कि मित्र से जाकर मिल लेता हूँ। वह बाज़ार से गुज़र रहा था कि सेब बिकते हुये दिखाई पड़े।
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उसने सोचा कि रामपुर में सेब बिल्कुल नहीं मिलते यही भेज देता हूँ। 5रु के उसने दस बारह सेब खरीदकर उसने अपने मित्र को दे दिये और अपने गांव न जा सकने की वजह बता दी।
सोनू जब रामपुर जा रहा था तो उसे एक जगह ठहरना पड़ा जहाँ चोरों ने उसका सारा धन चुरा लिया। पर सेब एक कपड़े में बँधे हुये खूँटी पर टँगे थे, उन पर किसी की नजर नहीं पड़ी वह बच गए। बेचारा सोनू सुबह उठा तो अपना धन न पाकर अत्यन्त दुःखी हुआ कि अब क्या करें और कैसे अपने घर पहुँचे?
जहाँ वह ठहरा था उस शहर में जो सबसे धनी साहूकार था, उसका इकलौता बेटा बहुत बीमार था। वहां के वैद ने साहूकार को बताया कि अगर इसको सेब फल तत्काल खिलाया जायें तो इसके जीने की आशा है वरना कमजोरी के चलते इसकी मृत्यु भी हो सकती है। तब साहूकार ने वहा ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई सेब लाकर देगा, उसको बहुत सारा धन दिया जायेगा।
सोनू ने ये खबर सुनते ही भगवान को धन्यवाद किया और तुरन्त वो सेब लेकर साहूकार के पास गया। साहूकार ने उसे काफी सारा धन दिया। सोनू से लेकर वो सेब साहूकार ने अपने लड़के को खिलाये ईश्वर की कृपा से वह जल्द स्वस्थ भी हो गया।
अब सोनू साहूकार द्वारा दिए उन रुपयों को खर्च करते हुए अपने घर पहुँचा। खर्च करने के बाद जितना धन बचा था, वह सब सोनू ने मोनू के घर वालों को दे दिया। रास्ते में हुई सारी घटना को चिट्ठी में लिख कर मोनू के पास भी भेज दिया और “यह भी लिख दिया – कि अब तुमको नौकरी करने की जरूरत नहीं है तुम्हारें सेब देकर काफी धन मिल गया है, घर वापिस चले आओ”
सीख
दोस्तों यह कहानी यह सीख देती है कि काम छोटा हो या बड़ा मेहनत से किया गया काम हमेशा अच्छा ही फल देता है।