तन्हाई का साथी

तन्हाई का साथी (  )

रामलाल नाम  के 65 वर्ष के एक बुजुर्ग व्यक्ति थे उनकी पत्नी नही थी और न ही कोई संतान थी । शादी के बाद ही किसी बीमारी से उनकी पत्नी का देहांत हो गया था फिर दुबारा उन्होंने शादी नही की वो अकेले ही जीवन को काट रहे थे

 

अब जैसे जैसे वो बुजुर्ग हुए उन्हें अकेलापन खाने लगा था। किसी साथी की कमी को वे महसूस करने लगे थे

एक दिन इसी सोच में चिंतित बैठे थे की उनके एक मित्र ने सलाह दी की भाई रामलाल ऐसे अकेले मन ना लगे तो कोई जानवर पाल लो  जिसकी देखभाल में मन लगा रहेगा तुम्हारा तुम एक गाय ला कर क्यों नही पाल लेते

 

रामलाल बोला हा ये तो बहुत अच्छा सुझाव है । दुसरे दिन ही रामलाल गाय खरीदने गया तो रास्ते में एक व्यक्ति मिला उसने कहा यह गाय 10 लीटर दूध रोज देती है देशी गाय है मुझे यह गांव छोड़कर जाना पड़ रहा है इसलिए बैच रहा हूँ वरना कभी नहीं बेचता

फिर रामलाल ने पूछा कितने में बेचोगे वह आदमी बोला 25000 में रामलाल ने कहा एक काम करो 20000  में देदो

cow2

वह आदमी नहीं माना आखिर राम लाल ने वह गाय खरीद ही ली गाय को लेके रामलाल घर आया उन्होंने गाय को रखने का मस्त इंतजाम भी किया गाय का नाम उन्होंने कजरी रखा उन्होंने गाय को पौष्टिक आहार दिए लाकर पर गाय सुस्त सी पड़ी थी खा पी भी नही रही थी

18797

उन्हें लगा गाय के लिए नया माहौल है इसलिए ऐसी हो रही है एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा पर अगले दिन भी गाय कुछ भी खा न पी रही थी तो रामलाल उसे पशु चिकित्सक के पास ले गए

डॉक्टर देखते ही बोले अरे ये गाय आपके पास कैसे रामलाल जी ?

रामलाल बोले अरे परसों एक भला आदमी मुझे बैच गया इसे मुझे लगा चलो पाल लू अकेलेपन में मन बहल जाएगा इसके साथ

तभी डॉक्टर बोला क्या आपको पता है इसे गंभीर बीमारी है ?  इसकी आँतों में कैंसर है परसों ही इसका मालिक इलाज़ करने से मना करके इसे ले के गया यहाँ से इसका बचना मुश्किल है अब।

 

रामलाल बोले डॉक्टर आप  इसका इलाज कीजिए इसको कैसे भी बचाइए। एक दिन में ही ये मेरे जिगर का टुकडा बन गई है जितना भी पैसा लगेगा में दूंगा आपको पर डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए और उसकी मृत्यु हो गई

_90579875_mediaitem90579874

राम लाल मन ही मन सोचने लगे की विधाता ने शायद उनके भाग्य में अकेलापन ही लिखा है। उनकी आँखों में आँसू ही आँसू थे एक दिन में कजरी उनके मन में बस गई थी ।

samir_by_deviousclown

कहानी की सिख –कभी कभी अकेलापन इतना बढ़ जाता है की एक मुलाकात में ही कोई जन्मो का साथी लगने लगता है और उसके जाने पर दिल को बहुत ठेस पहुचती है

 

No Data
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes:

<a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>