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विनती तन से मन से और बुधि से हम बहुत बड़े हो,पर्वत... more
पर्वत हिमालय हमारा “कितनी सदिया बीत चुकी है।... more
कुदरत हमको रोज सिखाती जग हित में कुछ करना सीखे... more
नीर – मैं नीर भरी दुःख की बदली, स्पंदन में चिर... more
तोड़ो तोड़ो तोड़ो ये पत्थर ये चट्टानें ये झूठे बंधन... more
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,... more
जब तान छिड़ी, मैं बोल उठा जब थाप पड़ी, पग डोल उठा... more
हम सभी की अलग- अलग पसंद होती है | फिर चाहे वो हमारे... more