वृद्ध साधू ने किया उपकार

वृद्ध साधू ने किया उपकार (  )

एक  आदमी था राधेश्याम वह बूरी तरह से कर्ज से डूब गया था उसके धन्धे में उसे बहुत घाटा हो गया था उसके पास कुछ ही पैसे बचे थे और वह बहुत चिंतित व निराश होकर एक जगह बैठ कर सोच रहा था की काश कोई उसे कुछ पैसे दे कर बचा ले तभी अचानक एक वर्द्ध साधू आए वहा और बोले राधेश्याम से बेटा तुम बहुत चिंतित लग रहे हो क्या हुआ है मुझे बताओगे अपनी समस्या शायद मैं तुम्हारी  मदद कर सकू यदि मै कर पाया तो अवश्य तुम्हारी मदद करूँगा

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राधेश्याम ने अपनी समस्या बताई समस्या सुनकर साधू ने अपनी जेब से पैसे निकालकर राधेश्याम को दे दिया और कहा तुम यह पैसे रखो  और 2 वर्ष बाद हम यहाँ फिर मिलेंगे तो तुम मुझे यह पैसे वापस लौटा देना|

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राधेश्याम चौक गया की इस साधू के पास इतने पैसे कैसे आए साधू ने उसे 20लाख दिए थे राधेश्याम को पैसे की बहुत जरूरत थी उसने पैसे ले लिए पर उसे फिर भी यकिन नही हो पा रहा था की उसको एक साधारण से दिखने वाले वर्द्ध साधू ने इतने पैसे कैसे दे दिए उसे फिर  शक हुआ की कही वो साधू चोरी के पैसे तो नहीं दे गया उसे अगर चोरी के हुए तो में और फस जाऊंगा पास में हि खडा एक व्यक्ति सब सुन और देख रहा था

वह व्यक्ति राधेश्याम के पास गया और बोला भैया वो आदमी कोई साधारण व्यक्ति नही इस शहर का जाना माना रईस है और भला है यह सुनते ही राधेश्याम उस वर्द्ध का धन्यवाद  करने को आस-पास उसे देखने लगा लेकिन वह वहां से जा चुका था राधेश्याम बहुत खुश था कि अब उसकी सारी चिंताएं ख़त्म हो गयी है और अब वह इन पैसों से अपने धंधे को फिर से चलाएगा

राधेश्याम ने सोचा कि इन पैसो का तभी इस्तेमाल करेगा जब उसे इसकी बहुत ज्यादा जरूरत  होगी इन पैसो का सहारा उसे मिल गया था जिससे उसकी निराशा और चिंताएं दूर हो चुकी थी अब वह पुरे आत्मविश्वास के साथ अपना धंधा चलाने लगा क्योंकि उसके पास 20  लाख थे जिसे जरूरत पड़ने पर काम में ला सकता था

कुछ ही महीनों में धीरे धीरे उसका का धंधा  बहुत ही अच्छा चलने लगा और उसने उस पैसो  का इस्तेमाल किए बिना ही अपना सारा कर्जा चुका दिया और एक बहुत बड़ा दूकान का मालिक भी बन गया

जब 2 वर्ष बाद  राधेश्याम 20 लाख लेके उसी जगह पंहुचा जहाँ पर वह वर्द्ध साधू उसे मिला था वहां पर उसे वह साधू दुबारा मिला  राधेश्याम ने उसे पैसे दिए और कहा आपने बुरे वक्त में मेरी मदद की आपके इन पैसो ने मुझे इतनी हिम्मत दी कि मेरा धंधा फिर से बहुत अच्छा हो गया और मुझे इनका उपयोग करने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद वह वर्द्ध मुस्कुराया और अपने पैसे लेके चला गया

कहानी की सिख – कभी कभी हम टूट के निराश हो जाते है तब एक तिनके का भी सहारा मिल जाए तो बहुत होता है इसलिए मुश्किलों के आने पर कभी निराश न हो यह सोचे की कही से कोई तो किरण आएगी जो हमारे मुश्किलों को कम कर देगी

 

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