सावन 2018 : तो ऐसे आए शिव के गले में नाग और हाथ में डमरू

सावन 2018 : तो ऐसे आए शिव के गले में नाग और हाथ में डमरू (  )
lord shiva facts

ये तो हम सभी ही जानते हैं कि भगवान शिव का सबसे प्रिय महिना सावन है और आपको बता दें कि इस वर्ष पहला सोमवार 30 जुलाई को है। सभी लोग इस पवित्र महीने में सभी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना में तन मन से जुट जाते है।ऐसा माना जाता है कि सावन में शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं जो सच्चे मन से उनकी आराधना कर लेता हैं।

shiv Parvati

लेकिन क्या आप जानते हैं जिन शिव की आप पूजा करते हैं उनके गले में नाग और हाथ में डमरू और बाकि चीजे कैसे और क्यों आई? आज हम आपको अपने पोस्ट के जरिए इसी विषय में बताने जा रहे हैं।

नाग

भगवान शिव पार्वती

महादेव के गले में नाग ऐसे आया कथाओं के अनुसार शिव के गले में जो नाग है वो राजा नाग वासुकी है। वासुकी नाग भगवान शिव के परम भक्त थे, इसलिए महादेव ने उन्हें अपने गले में हार की तरह हमेशा के लिए लिपटे रहने का वरदान दिया।

डमरू

bhagwan shiv ji

महादेव के हाथ में जो डमरू है उसके पीछे बताया जाता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ तो उसके साथ सरस्वती भी उत्पन्न हुई और फिर उन्होंने वीणा बजाया जिसके स्वर से सृष्टि में ध्वनि की उत्पत्ति हुई।

इसी ध्वनी में फिर शिव जी ने नृत्य करते हुए चौदह बार डमरू बजाया और इस डमरू की ध्वनि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। इस तरह से शिवजी के डमरू की उत्पत्ति हुई।

त्रिशूल

त्रिशूल

आपने देखा होगा कि भगवान शिव के हाथ में त्रिशूल भी होता है। इस त्रिशूल की उत्पत्ति ऐसे हुई जब सृष्टि का आरंभ हुआ ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। यही तीनों गुण मिलकर शिवजी का त्रिशूल बना।

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