इस प्रेम के पर्व में जाने की क्या है ये प्रेम…..?

इस प्रेम के पर्व में जाने की  क्या है ये प्रेम…..? (  )

जरुरी नही की प्रेम किसी पर्व का मोहताज़ हो प्रेम तो हर पल हर समय हो सकता है। प्रेम करने का सही अर्थ है अपनी खुसी को दुसरे की खुसी में लीन करना दुसरे के गमो को अपना समझना ।यदि यह भावना न हो तो प्रेम को महसूस करना नामुमकिन है ।प्रेम सुखद एहसास है,सुरक्षा का वादा है ,भावनाओ का विशाल समन्दर है। प्रेम ही वह भावना है जिसमे रिश्ते की नीव बनती है ।तो चलिए आपको आज हम बताए आपके प्रेम को प्रगाढ़ बनाने के कुछ टिप्स जिन्हें अपना कर आप अपने प्रेम की गहराई को आसानी से पा सकते है तो नीचे पढिए।

प्यार शब्द में बहुत ही शक्ति होती है इसके एहसास को शब्द में बया करना मुमकिन नही बस इसे महसूस किया जा सकता है।

प्रेम की नीव को मजबूती देते है यदि प्रेम में इन नियमो का पालन हो –

भावनाओ की परवाह करना:

प्रेम में सबसे पहले होता है अपने साथी की भावनाओ की परवाह करना एक दुसरे के प्रति ख्याल रखना एक दुसरे को समझना।

अटूट विश्वास:

एक दुसरे पर अटूट विश्वास  सबसे जरुरी है विश्वास के बिना प्रेम की ईमारत टिक नही सकती विश्वास का टूटना मतलब आपके साथी का टूट जाना ही है।

दोस्ती का भाव :

प्रेम के साथ दोस्ती का रिश्ता बन जाये तो बात ही कुछ अलग हो जाती है। जीवन आसान और सरल हो जाता  है क्योकि दोस्ती में कुछ घमंड नही रहता है।

ताल –मेल :

एक दुसरे से तालमेल बिठाए बिना आपका रिश्ता खोखला है जितना आप में ताल मेल बेठेगा उतनी ही जिंदगी आसान हो जाएगी।

त्याग की भावना:

प्रेम में खुद की इच्छाओ को त्याग कर अपने साथी की इच्छा का मान रखना प्रेम है ।ये भावना आपके प्रेम को उन बुलन्दियो की ओर ले जाएगा जहा आपका रिश्ता टूट ही नही सकता।

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बस इन बातो का विशेष ध्यान रख कर अपने valentine day को याद गार बनाए ।

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