जन्मकुंडली के प्रथम भाव में स्थित शनि का फल (Saturn in First House)

Saturn In First House Of Kundli पहले घर में शनि
Saturn In First House Of Kundli (पहले घर में शनि)

लग्न में शनि

Saturn in First House: जन्मकुंडली का प्रथम भाव इसे लग्न भी कहते हैं। यह जातक की शारीरिक आकृति, स्वभाव, वर्ग, चिन्ह, व्यक्तित्व, व्यक्ति के चरित्र, मुख, गुण व अवगुण, जातक के प्रारंभिक जीवन, उसके विचार सुख दुख, नेतृत्व शक्ति, आदि के बारे में बताता है। आइए जानते हैं यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के पहले घर (लग्न भाव) में शनि होने से जातक को शनि कैसा फल प्रदान करते हैं।

kundli ke pehle bhaav me shani dev
कुंडली के पहले भाव में विराजमान शनि जातक को न्यायप्रिय, दृढ़निश्चयी और एकांतप्रिय बनाता है।

यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के प्रथम भाव में शनि हो तो जातक को इसके मिले जुले परिणाम प्राप्त होते हैं। जन्म कुंडली के लग्न में स्थित शनि जहां एक ओर व्यक्ति को एकांत प्रिय बनाता हैं, वहीं दूसरी ओर उसका स्वभाव राजाओं जैसा होता है। व्यक्ति से कोई भी जब पहली बार मिलता है तो उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता।

जन्म कुंडली के पहले भाव में स्थित शनि के बारे में कहा जाता है कि इस प्रकार के व्यक्ति हठी, दृढ निश्चयी और कुछ हद तक उदासीन भी होते हैं। ऐसे लोग मेहनत करने से कभी नहीं घबराते। प्रथम भाव में स्थित शनि के जातकों को शत्रुहंता भी कहा गया है। ऐसे जातकों के शत्रु चाहें कितने भी बलिष्ठ क्यों न हो उनसे नहीं जीत पाते।

शनि की यह स्थिति जीवन के प्रारंभिक दिनों में कुछ संघर्ष जरूर देती है, लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है जातक अपने आत्मविश्वास, धैर्य और मेहनत के बल पर निरंतर सफलता प्राप्त करता रहता है। ऐसे जातक गांव या शहर के मुखिया भी हो सकते हैं।

लग्न में स्थित शनि के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं जैसे यह जातक को आलसी बनाता है और जातक व्यर्थ के विवाद में फंस सकता है। ऐसे जातकों को चाहिए कि वो आलस्य को त्यागें और जहां तक संभव हो बेकार के वाद विवाद से दूर रहें। ऐसे जातकों को वातजनित रोग होने की भी संभावना होती है।

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