Tag: hindi kavita

पर्वत हिमालय हमारा

पर्वत हिमालय हमारा

पर्वत हिमालय हमारा “कितनी सदिया बीत चुकी है।... more

विनती

विनती

विनती तन से मन से और बुधि से हम बहुत बड़े हो,पर्वत... more

कौन

कौन

कौन इतने उचे नील गगन में , तारो को चमकाता कौन? साँझ... more

मधुशाला

मधुशाला

मधुशाला – किसी ओर मैं आँखें फेरूँ, दिखलाई देती... more

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ रतनारी हो थारी... more

नर हो, न निराश करो मन को

नर हो, न निराश करो मन को

नर हो, न निराश करो मन को नर हो, न निराश करो मन को कुछ... more

जीवन के रंग

जीवन के रंग

जब तान छिड़ी, मैं बोल उठा जब थाप पड़ी, पग डोल उठा... more

मिट्टी में रस

मिट्टी में रस

तोड़ो तोड़ो तोड़ो ये पत्थर ये चट्टानें ये झूठे बंधन... more

मधुर मधु-सौरभ जगत्

मधुर मधु-सौरभ जगत्

मधुर मधु-सौरभ जगत् को मधुर मधु-सौरभ जगत् को... more

मुझे फूल मत मारो

मुझे फूल मत मारो

मुझे फूल मत मारो मुझे फूल मत मारो, मैं अबला बाला... more

मधुशाला

मधुशाला

मधुशाला उतर नशा जब उसका जाता, आती है संध्या बाला,... more

हम  भी सीखे

हम भी सीखे

कुदरत हमको रोज सिखाती जग हित में कुछ करना सीखे... more

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