यह कहानी एक अनाथ बच्चे की है जो पढ़ना चाहता था। वह अपनी पढ़ाई के लिए श्रीनगर की गलियों में घूम-घूम कर छोटी-मोटी चीज़े बेचता था। एक दिन बहुत तेज धूप हो रही थीं गर्मी भी काफी थीं। वह भूखा-प्यासा एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया। उसे भूख इतनी लगी की उसके लियें अब एक कदम भी आगें चलना कठिन हो गया था।
भूख मिटाने के लिए उस बच्चे के पास जेब में पैसे भी नहीं थे। बेबस लाचार बच्चा सोचने लगा की जीने के लिए किसी के घर से तो रोटी माँगकर खानी होगीं। वह आगें बढ़ा और एक घर के दरवाज़े पर दस्तक दी। जहा एक महिला ने दरवाज़ा खोला।
महिला बच्चे से पूछने लगी – “क्या हैं ?”
बच्चा स्वाभिमानी था उस महिला के सामने आते ही बच्चे ने रोटी के बजाएं सिर्फ अपनी प्यास बुझाने के लिए एक गिलास पानी मांगा। महिला ने बच्चे को देखा फिर वह घर के अंदर गई और उस भूखे बच्चे को पीने के लिए एक गिलास दूध दे दिया। बच्चे ने आश्चर्य से उस दयालु महिला का चेहरा देखा और बिना कुछ कहे धीरे-धीरे दूध पी लिया। दयालु महिला के लियें उस बच्चे के मन में आदर और उपकार का भाव भर आया था।
बच्चे ने बड़ी मासूमियत से उस महिला से सवाल किया कि – “मैं आपके इस एक गिलास दूध का मूल्य कैसे चुका पाउँगा।”
बच्चे की बात सुनकर महिला ने कहा– “इस एक गिलास दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।” महिला की यह बात सुन कर वह बच्चा आँखों में आंसू लिए महिला को बस निहारता रहा।दूध पीकर बच्चा वहा से चला गया।
इस घटना को कई साल बीत चुके थे । वह दयालु महिला एक गंभीर बीमारी की शिकार हो गईं। वहा के सभी डॉक्टरो ने महिला का इलाज़ करने से इंकार कर दिया था इसलियें महिला को अपना इलाज़ करवाने शहर से बाहर जाना पड़ा। वहा एक मशहूर डॉक्टर से इलाज एवं ऑपरेशन कराने के लिए महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस प्रसिद्ध डॉक्टर के सामने महिला की बीमारी की सभी कागजात लाए गए। डॉक्टर को बताया गया की वह श्रीनगर शहर से आयी है ।श्रीनगर नाम सुनते ही डॉक्टर की आँखों में आंसू भर आये। वह डॉक्टर जब महिला के पास गया तो वह देखते ही महिला को पहचान गया उसने महिला का ऑपरेशन किया और देखभाल करके उसको ठीक कर दिया।
जिस महिला को सभी डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था वह नया जीवन पाकर बहुत खुश थीं। उस महिला ने अस्पताल के स्टाफ से बिल मांगा तो कुछ देर बाद उसके हाथ में एक लिफाफा दिया गया। महिला को लगा बहुत बड़ा बिल होगा वह घबरा रही थीं।
जब महिला ने लिफाफा खोला तो उसमे लिखा था- “बिल का भुगतान बरसो पहले हो चुका, एक गिलास दूध”। और नीचे हस्ताक्षर थे – “आपका दूध वाला बच्चा, जो आज डॉक्टर बन गया है। “
दोस्तों उपकार छोटा हो या बड़ा मुसीबत में किसी के द्वारा किया गया हर “उपकार” हमे याद रखना चाहियें