इर्ष्या में किया खुदका नुकसान

इर्ष्या में किया खुदका नुकसान (  )

एक व्यक्ति था शिवलाल वह कही जा ही रहा था और बहुत जल्दी में था, तो अचानक वहा न्याय के देवता यमराज प्रकट हुए यमराज ने शिवलाल से पीने के लिए पानी मांगा। जल्दी में होने के बाद भी शिवलाल ने पानी पिलाया।

शिवलाल ने उनसे पूछा आप तो इस शहर के नही लगते कहा से आए है और क्यों?

यमराज ने बताया कि वह उसके प्राण लेने आए हैं पर मुझे बहुत प्यास लगी थी तो तुमने मेरी प्यास बुझाई है इसलिए मैं तुम्हें इस  समय छोड़ देता हूं। और एक वरदान भी देता हूँ जो  तुम पल भर का समय लगा कर बता दो तुम जो भी मांगोगे  वही होगा लेकिन ध्यान रहे केवल पलभर में बोलना है।

पर वह मुर्ख अपने लिए मांगने की जगह अपने दुश्मनों के बारे में बोलने लगा की फला का काम रुक जाए,फला को बहुत घाटा हो जाए कारोबार में,फला के घर चोरी हो जाए जैसे ही वह अपने लिए बोलने लगा यमराज़ ने उसे रोक दिया की तुम्हारा समय खत्म हो गया।

शिवलाल कहने लगा यमराज मेने अपने लिए कुछ मागा ही नही कृपया मुझे और समय दे ,तब यमराज बोले  अब कुछ नहीं हो सकता। तुमने अपना पूरा समय दूसरों का बुरा करने में निकाल दिया और अपना जीवन खतरे में डाल दिया अतः तुम्हारा अन्त निश्चित है। यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत पछताया पर इतना अच्छा मौका  उसके हाथ से निकल चुका था।

कहानी की सीख –  शिवलाल चाहता तो अपने प्राणों को मांग सकता था पर इंसान होता है लालची और मुर्ख जो जीवन भर इर्ष्या में गुजार देता है यदि ईश्वर ने आपको कोई शक्ति दी है तो कभी किसी का बुरा न सोचो न करो जितना हो सके सबका अच्छा ही करो।

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