क्यों नही रखी जाती मंदिरों में मूर्ति ,सिर्फ पुष्कर में है इनकी मूर्ति

क्यों नही रखी जाती मंदिरों में मूर्ति ,सिर्फ पुष्कर में है इनकी मूर्ति (  )

सभी देवी देवता के खूब सारे मंदिर और मुर्तिया है भारत में और अन्य देशो में भी है पर ब्रम्हा जी के मन्दिर बहुत ही कम है तथा उनकी पूजा भी कम ही की जाती है सिर्फ पुष्कर नामक स्थान में है ब्रम्हा जी का एक मन्दिर । तो आइए जाने की ऐसा क्यों है –

ब्रह्मा हिंदू मान्यता में वो देवता हैं जिनके चार हाथ हैं। और चारो हाथ में किताब है ये चारों किताब चार वेद हैं। पुष्कर के इस ब्रह्म मंदिर की भी कुछ कथाए है पुराण में कहा गया है कि ब्रह्मा इस जगह पर दस हजार सालों तक रहे थे। इन सालों में उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की। जब पूरी रचना हो गई तो सृष्टि के विकास के लिए उन्होंने पांच दिनों तक यज्ञ किया था। और उसी यज्ञ के दौरान सावित्री पहुंच गई थीं जिनके शाप के बाद आज भी उस तालाब की तो पूजा होती है लेकिन ब्रह्मा की पूजा नहीं होती। बस श्रद्धालु दूर से ही उनकी प्रार्थना कर लेते हैं।

आजतक किसी को पता नहीं कि इस मंदिर का निर्माण कैसे हुआ।

श्राप का कारण:

मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का  विचार आया यह यग उन्हें अपनी पत्नी के साथ करना था जब ब्रम्हा यज्ञ के लिए पहुंचे धरती पर तो ।उनकी पत्नी सावित्री वक्त पर नहीं पहुंच पाईं। यज्ञ का समय निकल रहा था। इसलिए ब्रह्मा जी ने एक ग्वालीन  बाला शादी कर ली और यज्ञ में बैठ गए।

सावित्री थोड़ी देर से पहुंचीं। लेकिन यज्ञ में अपनी जगह पर किसी और औरत को देखकर गुस्से से पागल हो गईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दिया कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। यहां का जीवन तुम्हें कभी याद नहीं करेगा। सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता लोग डर गए। उन्होंने उनसे विनती की कि अपना शाप वापस ले लीजिए। लेकिन उन्होंने नहीं लिया। जब गुस्सा शांत  हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी। कोई भी दूसरा आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।

 

No Data
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes:

<a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>