भगवान शिव ने काटा ब्रम्हा का सर इसलिए

भगवान शिव ने काटा ब्रम्हा का सर इसलिए (  )

यह हम सभी को ज्ञात ही है और इसका उल्लेख तो पुराणों में भी है की ब्रम्हा  विष्णु और महेश यह संसार के सबसे शक्तिशाली भगवान हैं।यह सम्पूर्ण संसार के करता धरता है । पर यह भी सच है की ये तीनो ही श्रेष्ठ है। पर होती पूजा सिर्फ विष्णु और शिव की ही है इसके पीछे है ।एक कथा आज हम आपको बताने जा रहे है। की स्वयं शिव ने ब्रम्हा का काटा था सर जाने क्यों और कैसे काटा भगवान शिव ने ब्रम्हा का सर नीचे पढ़िए।

इसलिए काटा भगवान शिव ने ब्रम्हा का सर :

शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु में झगड़ा हुआ वह दोनों स्वयं को ही सबसे  श्रेष्ठ मानने लगे। यह देख शिव जी वहा उनका विवाद बंद करने पहुचे तब ब्रह्मा जी ने कहा कि “तुम मेरे पुत्र हो चद्रशेखर”, मेरी शरण में आओ इतनी बात सुनने के बाद भगवान शंकर को क्रोध आ गया और उन्होंने वहीं कालभैरव का रूप धारण कर अपनी उंगली के नाख़ून से ब्रह्मा का सर काट दिया।

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भैरव भगवान शिव का ही एक अवतार हैं :

धर्म ग्रंथों के अनुसार भैरव भगवान शिव का ही एक अवतार हैं ।भैरव के स्वभाव में क्रोध है, इस अवतार का मूल उद्देश्य सारी बुराईयों को समावेश करने के पश्चात भी अपने अंदर धर्म को स्थापित करना है।

भगवान शिव ने ही काटा ब्रम्हा का पाचवा सर :

कथा के अनुसार जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद भगवान ब्रह्मा के चार सिर निकल आये थे और साथ में फिर जब पांचवा सर  निकला तो  ब्रम्हा में अहंकार भर गया ।तब सभी देवताओं ने ब्रम्हा से परेशान होकर शिवजी से इसे मिटाने की गुहार लगाई भगवान शिव ने अपना खड्ग उठाया और भगवान ब्रह्मा का पांचवे सर को काट दिया भगवान शिव के कहा कि ये पांचवा सर मानव के अंहकार का प्रतीत है। जिसे समय-समय पर काट देना चाहिए यह मानव के लिए हितकारी नही है इसलिए इसका मिट जाना ही ठीक है।

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