भगवान शिव ने ब्राह्मण रूप धर की माता सीता और राम की अनगिनत परीक्षाएँ

भगवान शिव ने ब्राह्मण रूप धर की माता सीता और राम की अनगिनत परीक्षाएँ (  )

ऐसी कई कहानियां है जिसमे आपने सुना होगा देवी देवताओ को भी परीक्षा देने होते थे सफलता पाने के लिए तो इंसान क्या चीज़ है, देवी देवता ही परीक्षा देते थे तो इंसानों को देने ही है। अपनी जिंदगी में छोटे बड़े परीक्षाएँ सफलता पाने के लिए आज हम आपको बताने जा रहे भगवान राम के बारे में ,जिनकी की थी भगवान शिव ने परीक्षा तो चलिए नीचे पढकर जाने की भगवान् शिव ने कैसे ली भगवान राम की परीक्षा ।

श्रीराम के वनवास के पश्चात् की बात है ये जो आज हम आपको बताने जा रहे है जिसमे भगवान शिव ने राम की ली परीक्षा ऐसे :

एक बार श्रीराम ब्राम्हणों को भोजन करा रहे थे तो  भगवान शिव  ने सोचा में भी ब्राम्हण वेश में वहाँ जाता हूँ और राम की परीक्षा लेता हूँ आज। जैसे भगवान शिव ब्राह्मण रूप में गए तो श्रीराम ने लक्ष्मण और हनुमान सहित उनका स्वागत किया और उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया।

भगवान शिव भोजन करने बैठे किन्तु उनकी लीला कौन बुझ सकता था? उनके खाते-खाते श्रीराम का सारा भण्डार खाली हो गया। लक्ष्मण और हनुमान ये देख कर चिंतित हो गए और आश्चर्य में पड़ गए की अब क्या करे भोजन समाप्त हो गया पर ब्राह्मण भोजन कर ही रहे है अब एक ब्राम्हण उनके द्वार से भूखे पेट लौट जाये ये तो बड़े अपमान की बात है ।

हनुमान जी ने कहाँ  श्रीराम से  की भगवान हमे और भोजन बनाना चाहिए जल्दी से। परन्तु श्रीराम तो सब कुछ जानते हीं थे, उन्होंने मुस्कुराते हुए लक्ष्मण से देवी सीता को बुला लाने के लिए कहा।

सीता जी वहाँ आयी और ब्राम्हण वेश में बैठे भगवान शिव का अभिवादन किया। श्रीराम ने मुस्कुराते हुए सीता जी को सारी बातें बताई और उन्हें इस परिस्थिति का समाधान करने को कहा। तब सीता जी ने कहा की में ब्राह्मण को भोजन कराउंगी अब स्वयं। जैसे ही माता सीता ने उनको अपने हाथ से एक ग्रास खिलाया,तो उनके हाथ का पहला ग्रास खाते हीं भगवान शिव संतुष्ट हो गए। और बोले की देवी मेरा पेट भर गया है अब में आपके भोजन से संतुष्ट हूँ।

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भोजन के बाद फिर भगवान शिव ने श्रीराम से कहा कि अधिक  भोजन करने के कारण वे स्वयं उठने में असमर्थ हूँ क्या आप मुझे उठा कर शैय्या पर सुला दे।तो राम जी ने हनुमान से कहा की इनको उठा कर शैय्या पर सुला दे, परन्तु आश्चर्य एक विशाल पर्वत को उखाड़ देने वाले हनुमान,महादेव को हिला तक नहीं सके।

हनुमान लज्जित हो पीछे हट गए और भगवान राम से कहने लगे की हे प्रभु ये काम मुझसे नही हो पायेगा मैने काफी प्रयास कर के देख लिया । फिर श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा पर वो भी नही हिला सके फिर लक्ष्मण ने परमपिता ब्रम्हा, नारायण और महादेव का स्मरण करते हुए उन्हें उठा कर शैय्या पर लिटा दिया।

अब भगवान शिव ने श्रीराम से सेवा करने को कहा। स्वयं श्रीराम लक्ष्मण और हनुमान के साथ भगवान शिव के पैर दबाने लगे। देवी सीता ने महादेव को पीने के लिए जल दिया। महादेव ने आधा जल पिया और बांकी जल का कुल्ला देवी सीता पर कर दिया। पर देवी सीता ने हाथ जोड़ कर कहा कि हे ब्राम्हणदेव, आपने अपने जूठन से मुझे पवित्र कर दिया। ऐसा सौभाग्य तो वीरो  को प्राप्त होता है। ये कहते हुए देवी सीता उनके चरण स्पर्श करने लगी, तभी महादेव उपने असली स्वरुप में आ गए। महाकाल के दर्शन होते हीं सभी ने करबद्ध हो उन्हें नमन किया।

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